अलौकिक झील केदार ताल, भगवान शिव को समर्पित है यह झील

देहरादून। मीठे पानी और अलौकिक संरचना वाली झील केदार ताल को उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत और रहस्यमयी झील के रूप में जाना जाता है। यह झील उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह झील भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए इसे शिव की झील के नाम से भी पुकारा जाता है। चारों तरफ से हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित इस झील की शोभा देखते ही बनती है। इसलिए केदार ताल को गढ़वाल की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक कहा जाता है। गंगोत्री से 18 किमी की दूरी पर स्तिथ यह ताल जितनी खूबसूरत है उतना ही दुर्गम इसका रास्ता है। मगर फिर भी हर साल रोमांच प्रेमी इस झील के दर्शनों के लिए ट्रेक पर निकल पड़ते हैं। केदारताल थाल सागर जो 6904 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है, भृगुपंथ (6772) और आसपास की अन्य चोटियों के कारण इसकी सतह हमेशा सदानीरा रहती है। वहीं इन हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं और रात्रि में साफ नीले आसमान की सितारों की छत का प्रतिबिंब जब ताल की सतह पर बनता है तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
केदार ताल के बारे में मान्यता है कि इसके जल को स्वयं भगवान शिव ने पिया था। पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और अशुरों ने समुद्र मंथन किया था तो उससे निकलने वाले 14 रत्नों में हलाहल विष भी शामिल था। जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था। शिव के हलाहल विष पिने के बाद विष के प्रकोप से उनका कंठ जलने लगा था। उसी तीक्ष्ण जलन को शांत करने के लिए भगवान शिव ने गंगोत्री से 18 किमी दूर स्थित इस ताल के जल को पिया तभी से यह झील केदार ताल के नाम से विख्यात हुई और इस झील की धारा से केदार गंगा का निर्माण हुआ। जो गंगोत्री से निकलने वाली गंगा की सहायक नदी है। गंगोत्री से लगभग 18 किमी दूर स्थित केदार ताल की खूबसूरती को देखने हर साल हाइकर्स और ट्रेकर्स का जत्था आता है। एक बार जो यहां आता है वो इस झील के सुन्दर नजारे की खूबसूरती को देखकर यहीं का हो जाता है। यही कारण है हर साल इसकी यात्रा पर आने वाले ट्रैकर्स की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा इस झील की यात्रा के दौरान दुर्लभ नीली भेड़ें (भरल), हिमालयी काले भालू और विभन्न सुंदर दुर्लभ पक्षियाँ देखने को मिलती हैं। केदार ताल उच्च हिमालय के क्षेत्र में यह अलौकिक झील प्रकृति की अद्भुत संरचना है। लोग इसे ‘अछराओं का ताल’ भी कहते हैं। समुद्र तल से 4,050 मीटर ऊंचाई पर गंगोत्री से 18 कि.मी. दूर भागीरथी को पार करते हुए केदार गंगा के किनारे पैदल यात्रा मार्ग है। केदार ताल के सामने थल सागर है, बायीं तरफ सुमेरु पर्वत और शिवलिंग शिखर है। यह ताल समुद्र तल से 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। थाल्‍यासागर चोटी का इसमें स्‍पष्‍ट प्रतिबिंब नजर आता है। गंगोत्री से तीस कि.मी. दुर्गम हिम शिखरों में केदार ताल झील अपने दिव्य सौंदर्य के लिए विख्यात है। हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित इस झील की शोभा देखते ही बनती है।

 598 total views,  1 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *