एक दूसरे के बिना अधूरे हैं भाषा और मनुष्य: शुक्ल, आईआईटी रुड़की में हिंदी कार्यशाला आयोजित  

रुड़की। भाषा और मनुष्य का संबंध अटूट है। भाषा के बिना मनुष्य अधूरा है और मनुष्य के बिना भाषा अधूरी है। आप जितनी अधिक से अधिक भाषाएँ जानें आपकी प्रगति की संभावना उतनी ही अधिक हो जाती है। इसीलिए आप देखेंगे कि विश्वविद्यालयों में यथासंभव सभी भाषाएँ पढ़ाने की व्यवस्था होती है। ये विचार राम निवास शुक्ल ने शुक्रवार दिनांक 12 नवंबर को सायं 3.30 बजे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के राजभाषा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित ‘राजभाषा नीतियों का क्रियान्वयन’ विषयक कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्री शुक्ल भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में संयुक्त निदेशक रहे हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के सीनेट हाल में आयोजित कार्यशाला में अपने व्याख्यान में श्री शुक्ल ने कहा कि किसी भी भाषा के तीन पक्ष होते हैं। इसका पहला पक्ष ज्ञान, दूसरा संस्कृति और तीसरा प्रयोग का होता है। ये सभी पक्ष भी आपस में गहरे स्तर पर जुड़े हुए हैं और यही वह तत्व है जो अनुवाद की प्रक्रिया को अधिक जटिल बनाते हैं। हमारी राजभाषा नीति में इस बात का पूरा खयाल रखा गया है कि इससे भारत की सभी भाषाओं को संरक्षण मिले और सभी का एक-दूसरे के सहयोग से सहज ढंग से विकास हो सके। संसद के सदन की भाषा तय करते समय भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि देश के किसी भी निवासी को भाषा के चलते कोई समस्या न होने पाए। इसीलिए यह व्यवस्था दी गई है कि यदि कोई सांसद आठवीं अनुसूची में दी गई 22 भाषाओं में से किसी में भी सदन को संबोधित नहीं कर सकता तो वह अपनी मातृभाषा में भी सदन को संबोधित कर सकता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की भाषाओं से जुड़ें और खासकर उस भाषा से जिसे संविधान ने भारत की राजभाषा का दर्जा दिया है। कार्यालयीन कामकाज में जब आप हिंदी में काम करने की कोशिश करते हैं तो शब्दों से मत घबराइए। भारत की दूसरी किसी भी भाषा के शब्दों का इस्तेमाल आप कर सकते हैं। चाहे वह किसी भी भाषा का शब्द क्यों न हो, आप उसे देवनागरी में लिख्ेाकर अपना काम चला सकते हैं। सरकार के कर्मचारी और भारत के नागरिक होने के नाते भी हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपनी राजभाषा को अंगीकार करें और पूरी तन्मयता के साथ उसके अनुपालन और उसके क्रियान्वयन के लिए सभी प्रयास करें। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रो. मनोज त्रिपाठी ने कहा कि राजभाषा से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी अगर आपको चाहिए तो आप अपनी वेबसाइट के राजभाषा प्रकोष्ठ के लिंक पर जाएँ। वहाँ आपको एक लिंक मिलेगा जहाँ राजभाषा से संबंधित सभी जानकारियाँ उपलब्ध कराई गई हैं। अगर वहाँ से आपकी किसी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है तो फिर आप राजभाषा प्रकोष्ठ के अपने साथियों से कभी भी संपर्क कर सकते हैं। कार्यशाला का संचालन कार्यालय अधीक्षक महावीर सिंह ने किया।

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