शिक्षा विभाग के बजट में हर साल कटौती के कारण शिक्षा की गुणवत्ता मे सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकतीः बिष्ट

देहरादून। आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश बिष्ट द्वारा उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को सुचारू करने के लिए दायर जनहित याचिका पर न्यायालय द्वारा सरकार से 6 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश का व्यापक असर दिखाई दे रहा हैं। कल राज्य के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने शिक्षा सचिव, अपर सचिव शिक्षा एवं शिक्षा विभाग के तीनों निदेशकों के साथ बैठक करके राज्य के स्कूलों में संसाधन, सुविधाएं एवं शैक्षिक स्तर को परखने के लिए जिलेवार अधिकारियों को नामित करते हुए एक माह के अन्दर रिपोर्ट मांगा जाना राजेश बिष्ट की जनहित याचिका की सफलता का प्रमाण हैं। शिक्षा मंत्री ने सभी नामित अधिकारियों को जिलों मे जाकर स्कूलों मे उपलब्ध संसाधन, छात्र शिक्षा अनुपात, यूनिफॉर्म, मुफ्त किताब वितरण, वोकैशनल पाठ्यकर्मों की पढ़ाई की जानकारी हासिल करने के बाद 10 नवम्बर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा हैं। भाजपा की यह सरकार विगत 6 वर्षों के अधिक समय से राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रही थी।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग के बजट में हर साल कटौती के कारण शिक्षा की गुणवत्ता मे सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती हैं। अधिकांश विद्यालयों मे प्रधानाचार्य के पद रिक्त होने के साथ साथ लंबे समय से विभिन्न विषयों के अध्यापकों के पद भी रिक्त हैं जिस कारण पठन पाठन का कार्य एवं विद्यालयों की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से गड़बढ़ाई हुई हैं। विद्यालय भवनों की हालत अत्यंत जर्जर हैं। जरूरत के हिसाब से विद्यालयों मे कक्षा कक्ष एवं प्रयोगशाला कक्ष नहीं हैं। कुछ विद्यालय भवन की हालत यह हैं कि उनमे कभी भी कोई हादसा हो सकता हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस जिले से विधायक हैं उसी चंपावत जिले के एक विद्यालय भवन की छत गिरने से एक छात्र की मौत तथा कई छात्र घायल हो गए थे। इसी चंपावत जिले में छात्रों को मिलने वाली मुफ्त किताबों के कई ढेर नालियों में पड़े मिले थे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं पूरे प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा। सरकार स्कूलों की हालत सुधारने के बजाय उनको बंद करने में ज्यादा रूचि ले रही हैं। अधिकांश विद्यालयों मे बिजली पानी का अभाव हैं, शौचालय बहुत गंदे और टूटे फूटे हैं, शौचालयों का उपयोग करना बीमारियों को न्योता देने जैसा हैं। इन्ही सब अव्यवस्थाओं को ठीक करके राज्य की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने और दिल्ली के केजरिवाल मॉडल की तरह व्यवस्था बनाने के लिए राजेश बिष्ट ने उच्च न्यायालय से प्रार्थना की।
न्यायालय मंे सुनवाई के दौरान विद्वान अधिवक्ता के. के. शर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए प्रार्थना की कि राज्य सरकार को सारी अव्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए निर्देशित किया जाए। माननीय न्यायालय ने जैसे ही सरकार को नोटिस जारी किया तो सरकार की कुम्भकर्नी तंद्रा टूटी। कल ही  शिक्षा मंत्री के अलावा कई दिन से क्षेत्र से उदासीन अल्मोड़ा के सांसद अजय टाम्टा ने भी माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में आनन् फानन में चंपावत जिले मे एक बैठक करके स्कूलों मे पानी, बिजली, शौचालय, फर्निचर समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का फरमान जारी किया। इससे यह साफ होता है कि सरकार अपना काम जिम्मेदारी से नहीं कर रही हैं बल्कि जब जब सरकार पर कोर्ट का डंडा चलता हैं तब तब सरकार निंद्रा से जागकर हरकत करती है और उसके बाद फिर सो जाती हैं। हम राज्य की शिक्षा व्यवस्था मे सुधार के लिए विद्यालयों में सभी मूलभूत सुविधाओं की बहाली के लिए लगातार प्रयास करेंगें तथा हमको न्यायालय से इस महत्वपूर्ण विषय पर गरीब के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके ऐसा आदेश सरकार के लिए जारी होगा इसका पूरा भरोसा हैं।

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