तप्त कुंडः यहां भगवान बद्रीनाथ ने किया था तप

देहरादून। तप्त कुंड का पानी बाहर से छूने पर काफी गर्म लगता है। लेकिन नहाते समय कुंड का पानी शरीर के तापमान जितना ही हो जाता है। तप्त कुण्ड की मुख्य धारा को दो भागों में बांटकर यहाँ महिलाओं और पुरुषों के लिए अलक-अलक स्नान कुण्ड बनाये गये हंै। माना जाता है नीलकण्ड की पहाड़ियों से इस पानी का उद्गम है। माना जाता है कि भगवान बद्रीनाथ ने यहाँ तप किया था। वही पवित्र स्थल तप्त कुण्ड के नाम से विश्व विख्यात है। मान्यता है कि उनके तप के रूप में ही आज भी उस कुंड में गर्म पानी रहता है।
मान्यता ये भी है कि इस तप्त कुण्ड में साक्षात सूर्य देव विराजते हैं। वहाँ के पुरोहित बताते हैं कि भगवान सूर्य देव को भक्षा-भक्षी की हत्या का पाप लगा था। तब भगवान नारायण के कहने पर सूर्य देव बद्रीनाथ आये और तप किया। तब से सूर्य देव को भगवान ने जल रूप में विचलित किया। जिसमें स्नान कर लोग अपनी शरीर सम्बंधी सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। भगवान के दर्शन कर पापों से मुक्ति पाते हैं। मंदिर से महज चार किलोमीटर की दूरी माना गाँव बसा है।
बद्रीनाथ मंदिर के पास कई तीर्थ व पर्यटन स्थल हैं, उनमें से कुछ ट्रेकिंग और स्कीइंग गंतव्य भी हैं। लेकिन अगर धार्मिक जगहों की बात करें तो तप्त कुण्ड एक ऐसी जगह है जहां पर हजारों की संख्‍या में लोगों की भीड़ जुटती है। यह एक ऐसा धार्मिक स्‍थल है, जहां पर प्रकृति का अजूबा देख सकते हैं। इस कुंड का पानी पूरे साल गर्म रहता है, भले ही कितनी ठंड क्‍यों न हो। यह कुंड बदरीनाथ मंदिर और अलकानंदा नदी के बीच स्थित है। तप्त कुंड एक गर्म पानी का प्राकृतिक झरना है, जिसका तापमान 45 डिग्री है। तप्त कुण्ड बदरीनाथ बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर है और बदरीनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार पर है। ऐसा माना जाता है कि तप्त कुण्ड में स्नान करने से चर्म रोग दूर होते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, कुंड में पूर्वजों का अनुष्‍ठान करने से उन्‍हें स्वर्ग प्राप्‍त होता है। यहां पर लोग अपने पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए पूजा करते हैं। बद्रीनाथ मंदिर में प्रवेश करने से पहले भगवान अग्नि के निवास में पवित्र स्नान अवश्य करना चाहिए। स्नान क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। सामान्य पानी का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक होता है। लोग यह भी मानते हैं कि यहां पर स्‍नान करने से पाप धुल जाते हैं।
तप्त कुंड में स्नान करने का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। इसी कुंड से निकलने वाली गर्म पानी की धारा दिव्य शिला से होते हुए दो तप्त कुंडों तक जाती है, जिसमें यात्री स्नान करते हैं। माना जाता है गर्म पानी के कुंड में स्नान करने से शरीर की थकावट के साथ ही चर्म रोगों से भी निजात मिलती है। इस पानी में गंधक की मात्रा काफी ज्यादा है। यही कारण है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्री तप्त कुंड में जरूर स्नान करते हैं। मान्यता है की जो भी श्रद्धालु इस तप्त कुंड में स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं और चर्म रोग भी ठीक हो जाते हैं ।

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