मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने की जरूरत

मोटे अनाजों को पोषण का शक्ति केंद्र कहा जाता है। पोषक अनाजों की श्रेणी में ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, चीना, कोदा, सावां, कुटकी, कुट्टू और चौलाई प्रमुख हैं। मोटे अनाज किसान हितैषी फसलें हैं। इनके उत्पादन में पानी की कम खपत और कम कार्बन उत्सर्जन होता है। ये सूखे वाली स्थिति में भी उगाई जा सकती हैं। मोटा अनाज सूक्ष्म पोषक तत्त्वों, विटामिन और खनिजों का भंडार है। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण में विशेष लाभप्रद हैं। शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के दौर में मोटा अनाज वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है। इनकी खेती सस्ती और कम जोखिम वाली होती है। मोटे अनाजों का भंडारण आसान है और ये लंबे समय तक संग्रह योग्य बने रहते हैं। देश में कुछ दशक पहले तक सभी लोगों की थाली का एक प्रमुख भाग मोटे अनाज हुआ करते थे। फिर हरित क्रांति और गेहूं-चावल पर हुए व्यापक शोध के बाद गेहूं-चावल का हर तरफ अधिकतम उपयोग होने लगा। भारत के अधिकांश राज्य एक या अधिक मिलेट (मोटा अनाज) उगाते हैं। खासकर अप्रैल 2018 से सरकार देश में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘मिशन मोड’ में काम कर रही है। मोटे अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में राहतकारी वृद्धि की गई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मोटे अनाज घटक चौदह राज्यों के दो सौ बारह जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा। इन्हें उगाने के लिए किसानों को अनेक सहायता दी जाती है। देश में मिलेट मूल्यवर्धित श्रृंखला में पांच सौ से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। मोटे अनाज के वैश्विक उत्पादन में भारत का हिस्सा करीब चालीस फीसद है। इनके उत्पादन और निर्यात में पूरी दुनिया में भारत पहले स्थान पर है। देश में मोटा अनाज उत्पादन के शीर्ष राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश में इनके उत्पादन के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के तहत सरकार की यह रणनीति होनी चाहिए कि जिस तरह पिछले चार-पांच दशक में अन्य नकदी फसलों को बढ़ावा देने के कदम उठाए गए हैं, वैसे ही कदम मोटे अनाजों के संदर्भ में भी उठाए जाएं। जब किसानों को भरोसा होगा कि उन्हें मोटे अनाजों की उपज का सही दाम मिल सकता है, तो निस्संदेह वे मोटे अनाज की खेती के लिए भी प्रोत्साहित होंगे हैं। अब सरकारी खरीद में मोटे अनाज की हिस्सेदारी और न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाना होगा। देश के कृषि अनुसंधान संस्थानों द्वारा मोटे अनाजों पर लगातार शोध बढ़ाना और अधिक उपज के लिए बायो फर्टिलाइज तकनीक का अधिक उपयोग करना होगा। मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने के लिए इनसे नूडल्स, कुरकुरे आदि बनाने की दिशा में भी अधिक काम करना होगा, जिससे मोटे अनाजों के बाजार का विस्तार होगा। किसान इनकी खेती के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे। खासकर देश और दुनिया में कुपोषण की चुनौती को दूर करने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और खाद्यान्न की कीमतों के नियंत्रण में मोटे अनाज की महत्त्वपूर्ण भूमिका बनानी होगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से आम आदमी तक गेहूं और चावल की तुलना में मोटे अनाज की अधिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मोटे अनाजों की सरकारी खरीद बढ़ानी और इनके निर्यात को बढ़ाने की नई रणनीति बनानी होगी। निस्संदेह बढ़ते वैश्विक कुपोषण और भूख संकट के दौर में भारत में भूख और कुपोषण की चुनौती को कम करने में मोटे अनाजों की अधिक आपूर्ति के साथ कई और बातों को भी ध्यान में रखा जाना होगा। देश में गरीबों के सशक्तिकरण की कल्याणकारी योजनाओं के अधिक विस्तार, कृषि क्षेत्र में सुधार तथा खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के नए कदम जरूरी होंगे।
देश में बहुआयामी गरीबी, भूख और कुपोषण खत्म करने के लिए पोषण अभियान-2 को पूरी तरह कारगर और सफल बनाना होगा।
उम्मीद है कि भारत जी-20 की अध्यक्षता करते हुए अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के उद्देश्यों और लक्ष्यों के मद्देनजर देश और दुनिया में मोटे अनाजों के लिए जागरूकता पैदा करने में सफल होगा और इससे मोटे अनाज का वैश्विक उत्पादन और वैश्विक उपभोग बढ़ेगा। इससे एक बार फिर मोटे अनाज को देश और दुनिया के अधिकांश लोगों की थाली में अधिक जगह मिलने लगेगी तथा देश और दुनिया के करोड़ों लोगों को भूख और कुपोषण की चुनौतियों से बाहर लाने में सफलता मिल सकेगी। अब केंद्र सरकार द्वारा गरीबों, किसानों और कमजोर वर्ग के करोड़ों लोगों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से अधिक नकद धन हस्तांतरित किया जाना लाभप्रद होगा। सरकारी योजनाओं के और अधिक लाभ डीबीटी से लाभार्थियों तक पहुंचने से गरीबों का सशक्तिकरण होगा और कुपोषण की चुनौती कम होगी। सरकार द्वारा सामुदायिक रसोई की व्यवस्था को मजबूत बना कर उन जरूरतमंदों के लिए भोजन की कारगर व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी, जिन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *