मोरारी बापू की 861वीं रामकथा 19 से 27 जून तक देवप्रयाग में

देवप्रयाग। देवप्रयाग में मोरारी बापू रामकथा का मंगलगान 19 जून से करेंगे। मोरारी बापू की यह 861वीं रामकथा होगी। देवप्रयाग में नौ दिवसीय रामकथा का गायन 27 जून तक होने जा रहा है। कोविड-19 की विकट परिस्थिति में, सरकार  द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूर्णरूप से पालन किया जायेगा जिसके तहत सभी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए श्रोताओं की पूर्व-निर्धारित सीमित संख्या ही शामिल की जाएगी। शामिल होने वाले श्रोताओं को यजमान श्री की ओर से पूर्व सूचना दी जाएगी।

रामकथा का सीधा प्रसारण 19 जून सायं 4 से 6 एवं 20 से 27 जून प्रातः 9.30 से 1 तक आस्था चैनल और चित्रकूटधाम यूट्यूब चैनल के माध्यम से किया जायेगा। देवप्रयाग अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा गंगा कहलाती है। इसी कारण देवप्रयाग को पंच प्रयागों में सबसे ज्यादा महत्त्व दिया जाता है। देवप्रयाग अद्वितीय प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। देवप्रयाग से भगवान विष्णु के पाँच अवतार वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम का संबंध माना जाता है। ब्रह्मा, परशुराम, दशरथ और जटायु की यह तपस्थली भी मानी जाती है। एक मान्यता के अनुसार, मुनि देव शर्मा ने 11 हजार वर्ष तक तपस्या की थी और भगवान विष्णु यहीं प्रकट हुए थे। उन्होंने देव शर्मा को त्रेता युग में देवप्रयाग वापस आने का वचन दिया था और श्री रामावतार में अपना वचन पूरा भी किया। रामचन्द्र जी के देवप्रयाग आने और विश्वेश्वर लिंग की स्थापना करने का उल्लेख शास्त्र में मिलता है। 

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