अनूठा लोक उत्सव #बटर #फेस्टिवल, #दयारा #बुग्याल में स्थानीय ग्रामीण व पर्यटक खेलते हैं मक्खन, दूध व मट्ठा की होली

देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। दयारा बुग्याल में मनाए जाने वाला बटर फेस्टिवल एक अनूठा लोक उत्सव है। परंपरा के अनुसार इस लोक उत्सव में मक्खन, दूध व मट्ठा की होली खेलने के साथ ही प्रकृति देवता की पूजा की जाती है। बटर फेस्टिवल को स्थानीय भाषा में अढूंडी उत्सव कहा जाता है। दयारा बुग्याल पहुंचने वाले पर्यटक और स्थानीय ग्रामीण मखमली घास के मैदान में मक्खन की होली खेलकर इन खास क्षणों को यादगार बनाते हैं। दयारा बुग्याल उत्तरकाशी में समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किमी की दूरी और भटवाड़ी ब्लाक के रैथल गांव से आठ किमी की पैदल दूरी पर स्थित है। दयारा बुग्याल 28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। दयारा बुग्याल में पीढ़ियों से अढूंडी उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल 17 अगस्त को मनाया जाएगा, दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल द्वारा तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
उत्सव का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से पर्यटक दयारा पहुंचते हैं और यहां की मखमली घास पर मक्खन, दूध, दही व मट्ठा की होली खेलते हैं। ग्रीष्मकाल में क्षेत्र के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्याली क्षेत्रों में चले जाते हैं और अगस्त में इस उत्सव को मनाने के बाद ही वापस अपने गांव लौटने लगते हैं। लौटने से पहले प्रकृति का आभार जताने के लिए वह अढूंडी उत्सव का आयोजन कर प्रकृति की पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते। दूध, मक्खन व मट्ठा स्थानीय ग्रामीण और वन गुर्जरों द्वारा एकत्रित किया जाता है। इस मौके पर दूध की खीर तैयार की जाती है। रैथल व आसपास स्थित गांवों के लोग गर्मियों की शुरूआत में अपने मवेशियों के साथ दयारा बुग्याल की छानियों में चले जाते हैं। वहां ग्रामीण मवेशियों के साथ पूरी गर्मियां बिताते हैं। मानसून के साथ ही बुग्याल में ठंड बढ़ने लगती है, इसलिए ग्रामीणों के वापस लौटने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। बुग्याल में रहकर मवेशियों के दूध में अप्रत्याशित वृद्धि होती है और ग्रामीणों के घरों में संपन्नता आ जाती है। इसलिए हर वर्ष अगस्त में प्रकृति की पूजा कर इस उत्सव को मनाया जाता है। इस मौके पर स्थानीय महिलाओं व पुरूषों द्वारा वाद्य यंत्रांे की थाप पर लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जाती हैं। ये देश का सबसे ऊंचा आयोजन स्थल है। इस उत्सव में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। बटर फेस्टिवल को मनाने के लिए ग्रामीण पारंपरिक वेश भूषा के साथ दयारा बुग्याल पहुंचते हैं। जहां सभी स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और मक्खन, दूध व मट्ठा की होली खेलते हैं।

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