देहरादून। इस वर्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के प्रचार प्रसार के लिए आभासी मंच के माध्यम से 6वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2020 का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय तथा सीएसआईआर और विज्ञान भारती (विभा) द्वारा संयुक्घ्त रूप से किया जा रहा है।
सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून तथा विज्ञान भारती द्वारा संयुक्त रुप से भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 के अंतर्गत दिनांक 22 से 24 दिसंबर 2020 तक एक आभासी उद्योग शैक्षणिक जगत संगोष्ठी (आईएसी) का आयोजन किया जा रहा है। इसके दूसरे दिन दिनांक 23 दिसंबर, 2020 को विशेषज्ञों की एक पैनल चर्चा आयोजित की गई जिसका विषय था उद्योग जगत तथा शैक्षणिक समुदाय के मध्य आपसी तालमेल को बढ़ाना। सर्वप्रथम डॉ. मनोज श्रीवास्तव, प्रधान समन्वयक, आईएसी, आईआईएसएफ 2020 ने सभी अतिथियों, विशेषज्ञों और प्रतिभागियों व श्रोताओं का स्वागत किया। इस पैनल चर्चा का शुभारंभ डॉ हर्षवर्धन केंद्रीय मंत्री, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वीडियो संदेश के साथ हुआ। इस पैनल चर्चा के सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. बाला भारद्वाज, प्रबंध निदेशक, बोईंग इंडिया इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज आवश्यकता है कि हमारे युवा, विज्ञान और अभियांत्रिकी के साथ-साथ अन्य विषयों, भाषा एवं व्यावहारिक कौशल को भी ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि जो प्रौद्योगिकी-उपभोक्ता को ध्यान में रखकर विकसित की जाती है तथा जिसमें आगे आवश्यकतानुसार और परिवर्तन व विकास किया जाता है, वह निश्चित रूप से सफल होती है। डॉ. भारद्वाज ने कहा कि उद्योग और शैक्षणिक जगत को विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए तथा एक मजबूत साझेदारी के लिए इस प्रकार के सत्रों व चर्चा की बहुत आवश्यकता है। इसके उपरांत डॉ. वीर जसरा, एफएनएई, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पैनल चर्चा प्रारंभ की। उन्होंने उद्योग जगत की उत्पाद लक्षित आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने उत्पादों के व्यवसायीकरण संबंधी कठिनाइयों पर भी चर्चा की तथा इस बात पर बल दिया कि उद्योग सदैव तुरत समाधान को प्राथमिकता देते हैं। डॉ. दुर्गेश पंत, प्रोफेसर, उत्तराखंड मुक्त विश्विद्यालय ने कहा कि विद्यालय,उच्च शिक्षा के स्तर पर तथा उद्योगों में कौशल निर्माण एवं विकास को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा के विद्यालय छात्रों में व्यावहारिक कौशल निर्माण के प्रचार-प्रसार के लिए इको-क्लब प्रारंभ किए जाने चाहिए।
डॉ. के के पंत, प्रोफेसर, सस्काचेवान विश्वविद्यालय, कनाडा प्रोफेसर तथा प्रमुख, रसायन अभियांत्रिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने अपने वक्तव्य में कहा कि उद्योग सदैव रेडीमेड उत्पाद को लेने में अधिक रूचि लेते हैं। शैक्षणिक जगत मूलभूत अवसंरचनात्मक सुविधाओं के साथ सामान्यतरू न्यून टी आर एल लेवल पर काम करता है। आवश्यकता है कि उद्योग तथा अन्य प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं व संस्थानों के मध्य एक मजबूत साझेदारी हो, जिससे उच्च टीआरएल स्तर प्राप्त किया जा सके। डॉ. बनीब्रता पांडे ने चर्चा करते हुए कहा कि उद्योग और शैक्षणिक जगत के मध्य एक लंबी साझेदारी की आवश्यकता है. आवश्यक है कि छात्र अपने अध्ययन के दौरान उद्योगों में जाएं तथा औद्योगिक पर्यावरण में परियोजनाओं पर कार्य करें। उद्योग और शैक्षणिक जगत के मध्य दूरी को भरने के लिए एक तंत्र का होना अत्यावश्यक है।
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