डेंगू-मलेरिया और वायरल में संजीवनी से कम नहीं पपीते के पत्ते का जूस

लखनऊ। इन दिनों डेंगू-मलेरिया और वायरल बुखार के प्रकोप से हर कोई तंग है। मगर अब इससे घबराने की जरूरत नहीं है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू-मलेरिया या अन्य कोई भी वायरल बुखार होने पर प्लेटलेट््स कम हो जाती है। इससे मरीज की स्थिति गंभीर होने लगती है। इसके लिए पपीते की पत्ती का रस दो से तीन चम्मच और करीब इतने ही शहद का मिश्रण बनाकर लेने से प्लेटलेट्स बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत हो जाती है। राजभवन के पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी रहे डा. शिवशंकर त्रिपाठी कहते हैं कि वर्षा ऋतु में शरीर की पाचक अग्नि कमजोर हो जाने से खाना हजम न होना तथा अम्लपित्त आदि जैसी परेशानियां होती हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। जल के प्रदूषित होने के कारण जीवाणु एवं विषाणु जन्य व्याधियां जैसे पेचिश, आंव का आना, पीलिया (कामला) एवं विषम ज्वर होने की संभावनाएं भी अधिक होती हैं। इसलिए ऐसे मौसम में खान-पान में सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है।
यह बरतें सावधानी: सब्जियां साफ पानी में धोकर, अच्छी तरह पका कर सेवन करें। पत्ते वाले सलाद न लें। पानी उबालकर ही पियें। अम्लपित्त एवं कब्ज को दूर करने के लिए छोटी हरड़ का चूर्ण 2 ग्राम से 3 ग्राम तक शहद के साथ या फिर सेंधा नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ रात्रि में एक बार लें। आंव, पेचिस हाने पर बड़ी सौंफ (भुनी हुई), ईसबगोल भूसी तथा बेल के चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच दिन में दो बार गुनगुने पानी से सेवन करने से लाभ होता है।
क्या खाएं: इस मौसम में हल्का भोजन करना चाहिए। मूंग की दाल, खिचड़ी, दलिया-दूध, नारियल का पानी, सब्जियों के सूप, मौसमी फल फायदेमंद है। एक गिलास दूध में हल्दी मिलाकर रात को पिएं। देर रात तक न जगें और सुबह जल्दी उठें।
बुखार के लिए: तुलसी, कालीमिर्च, अदरक, ज्वरांकुश(लैमन ग्रास) और कालमेघ का काढ़ा पीने से पुराना बुखार भी छोड़कर भाग जाता है। वहीं षडंग का पानी भी सभी तरह के बुखार व संक्रमण का रामबाण है। इसमें नागरमोथा, पित्त पापड़ा, सुगंधबाला, लालचंदन, खस और सोंठ के मिश्रण को एक ओखली में कूट लेना चाहिए। इसे बहुत बारीक नहीं कूटना चाहिए। तीन चम्मच मिश्रण को दो लीटर पानी में उबालें। जब यह एक लीटर से कम हो जाए तो छानकर रख लें। फिर आधा कप सुबह शाम पीने से सभी तरह के बुखार से राहत मिलती है। संक्रमण दूर भाग जाता है। इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
पीलिया होने पर: पीलिया (जॉन्डिस) के लिए इस मौसम में आसानी से पाये जाने वाले भुंई आंवला के दो से तीन पौधे जड़ सहित उखाड़कर उसे साफ कर एक कप पानी में उबालकर पीने से किसी भी प्रकार की पीलिया में आराम मिलता है। यदि उसका सेवन एक माह तक कर लिया जाए तो पूरे वर्ष यकृत संबंधी रोग नहीं होते हैं।
पाचक अग्नि बढ़ाने के लिए: खाने के बाद जीरा (भूनकर), सोंठ एवं काला नमक मिलाकर सेवन करने से पाचक अग्नि प्रदीप्त होती है, भूख लगती है और पाचन सही रहता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर नहीं होने पाती। इसे खाने से बचें: मैदा, मिर्च, मसाला एवं तैलीय व गरिष्ठ पदार्थ, कोल्ड ङ्क्षड्रक व फ्रीज में रखी वस्तुएं। खट्टा दही नहीं खाएं। छाछ कम सेवन करें। राजमा, कटहल, उड़द की दाल, पालक व पत्ते का साग न लें।

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