भगवान शिव ने कंठ की भीषण ज्वाला को इस ताल का जल पीकर किया था शांत

देहरादून, गढ़ संवेदना । उच्च हिमालय के क्षेत्र में यह अलौकिक झील प्रकृति की अद्भुत संरचना है। निर्मल नीले जल वाली केदार ताल झील के बारे में जनश्रुति है कि समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव ने अपने कंठ की भीषण ज्वाला को केदार ताल का जल पीकर ही शांत किया था। लोग इसे ‘अछराओं का ताल’ भी कहते हैं। समुद्र तल से 4,050 मीटर ऊंचाई पर गंगोत्री से 19 कि.मी. दूर भागीरथी को पार करते हुए केदार गंगा के किनारे पैदल यात्रा मार्ग है। केदार ताल के सामने थल सागर है, बायीं तरफ सुमेरु पर्वत और शिवलिंग शिखर है। यह ताल समुद्र तल से 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। थाल्‍यासागर चोटी का इसमें स्‍पष्‍ट प्रतिबिंब नजर आता है। गंगोत्री से तीस कि.मी. दुर्गम हिम शिखरों में केदार ताल झील अपने दिव्य सौंदर्य के लिए विख्यात है।

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