भारत की जुड़वा पर्वतारोही बहनें ताशी और नुंग्शी स्विस आल्प्स की चोटी पर पहुंचीं

देहरादून। एवरेस्ट ट्विन्स के नाम से मशहूर भारत की जुड़वा पर्वतारोही बहनों- ताशी और नुंग्शी मलिक ने स्विट्जरलैंड की 100 प्रतिशत वुमन पीक चौलेंज में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस चौलेंज के तहत इन जुड़वा बहनों ने स्विस आल्प्स की 4000 मीटर (13,000 फीट) ऊंची दो चोटियों को फतह किया। इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इस वर्ष चलाए गए 100 प्रतिशत वुमन ओनली अभियान के अंतर्गत यह चौलेंज शुरू किया गया था। केवल महिलाओं की टीमों को स्विस आल्प्स की 13,000 फीट ऊंची सभी अड़तालीस चोटियों पर चढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना इसका उद्देश्य था। मलिक बहनों ने माउंट ब्रेथॉर्न (13,662 फीट) और एलालिनहॉर्न (13,212 फीट) चोटी पर विजय प्राप्त की।
नुंग्शी ने बताया, इस पीक चौलेंज में भारत और भारतीय महिलाओं के प्रतिनिधित्व का न्यौता देने के लिए हम स्विट्जरलैंड के आभारी हैं! हम हमेशा स्विस आल्प्स की चोटियों पर चढ़ने का सपना देखा करते थे, क्योंकि हमने अपने पर्वतारोही साथियों से उनके बारे में बहुत कुछ सुन रखा था, और आल्प्स पर्वत श्रृंखला ने हमें निराश नहीं किया! हमने जिन दोनों चोटियों पर चढ़ाई की, वे स्विट्जरलैंड के कार-मुक्त शहर जर्मेट में स्थित हैं। एलालिनहॉर्न के शिखर पर बहुत तेज हवा वाला मौसम था और तापमान शून्य से 5 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया था। शुरुआत में पर्वत पर नेविगेट करने के लिए बहुत सारी हिम-दरार मौजूद थीं और शिखर की ओर चढ़ते वक्त चट्टानें सामने आ गई थीं, जिन पर चढ़ना ब्रेथॉर्न चोटी के मुकाबले ज्यादा तकनीकी काम था।”
ताशी का कहना है, स्विस आल्प्स पर चढ़ने का यह हमारा पहला अनुभव था। यहां का पर्वतीय इलाका उस हर पर्वत श्रृंखला खासकर हिमालय से बहुत अलग है, जो अतीत में हमने फतह की हैं। लेकिन यह एक अद्भुत एडवेंचर था, क्योंकि पहाड़ की चोटी से नजर आने वाले दृश्य विस्मयकारी थे! ब्रेथॉर्न की चढ़ाई तुलनात्मक रूप से आसान थी। हम उन महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करेंगे, जो अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर पर्वतारोहण में हाथ आजमाना चाहती हैं। हम उनको स्विट्जरलैंड जाकर इन चोटियों पर चढ़ाई करने के लिए प्रेरित करेंगे। आल्प्स पर्वत श्रृंखला की खूबसूरती और शिखर पर पहुंचने की खुशी आपको लगातार आगे बढ़ने तथा एक अनुभवी पर्वतारोही बनने की प्रेरणा देगी। अब तक दुनिया भर की 400 से अधिक महिलाएं इस चौलेंज को स्वीकार कर चुकी है, जिनमें अनुभवी पर्वतारोहियों के साथ-साथ वे महिलाएं भी शामिल हैं, जो पहले कभी चार-हजार मीटर की पहाड़ी पर भी नहीं चढ़ी थीं। स्विट्जरलैंड टूरिज्म की डिप्टी डायरेक्टर ऋतु शर्मा ने कहा, पीक चौलेंज के लिए ताशी और नुंग्शी मलिक को स्विट्जरलैंड में आमंत्रित करना वैश्विक यात्रियोंय विशेष रूप से महिला पर्वतारोहियों को आपस में जोड़ने का एक अवसर था। इसके अलावा यह स्विट्जरलैंड के विविधतापूर्ण भू-परिदृश्य में उपलब्ध सभी चीजों को खोजने के लिए उनको एक साथ लाने का मौका भी था। माउंट ब्रेथॉर्न की चढ़ाई के वक्त इन जुड़वा बहनों के साथ दो और भारतीय महिलाएं भी थीं, जो पेशेवर पर्वतारोही नहीं हैं! हमें उम्मीद है कि इस पीक चौलेंज में भारत का प्रतिनिधित्व अधिक से अधिक महिलाओं को हाई-एल्टीट्यूड वाले पर्वतारोहण, माउंटेन बाइकिंग और चढ़ाई या कैंपिंग में भाग लेकर ऑउटडोर लाइफ में हाथ आजमाने को प्रेरित करेगा। हम वाकई यह मानते हैं कि ऐसा कोई पहाड़ नहीं है जिसे कोई महिला दुनिया में या अपने जीवन में फतह नहीं कर सकती!

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