आईआईटी जोधपुर ने आयुरटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का उद्घाटन किया

देहरादून:  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर द्वारा 12 मई 2023 को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रायोजित आयुरटेक, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का उद्घाटन किया। सीओई आयुरटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित स्वास्थ्य क्षेत्र का भाग है जो आईआईटी जोधपुर के स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा साइंस में है। इस केंद्र को स्थापित करने का उद्देश्य लोगों के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रारंभिक उपचार के लिए सटीक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के लिए एआई-संचालित एकीकृत ढांचा स्थापित करना है।

आयुरटेक सीओई का उद्घाटन मुख्य अतिथि, वैद्य राजेश कोटेचा, माननीय सचिव, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, और प्रो. शांतनु चौधरी, निदेशक, आईआईटी जोधपुर, ने संस्थान के फैकल्टी और कर्मचारियों की उपस्थिति में किया। सेंटर फॉर आयुरटेक स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में अपनी तरह की अद्वितीय पहल है जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजिटल स्वास्थ्य, एआई और बहु-ओमिक्स प्रौद्योगिकियों का एक साथ उपयोग करते हुए ‘साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद’ से समाधानों को खोजने पर कार्य किया जाएगा।

उद्घाटन समारोह के दौरान भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “आईआईटी जोधपुर में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित आयुरटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन करके मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। ‘आयुर्वेद विज्ञान’ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का भविष्य है। मैं इस पहल के लिए आईआईटी जोधपुर को बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि इससे शोधकर्ताओं को स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में मदद मिलेगी। मुझे यकीन है कि आने वाले वर्षों में यह केंद्र बड़े पैमाने पर जनता की भलाई के लिए विभिन्न शोध परियोजनाओं को सफल परिणामों में बदलेगा। “

आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. शांतनु चौधरी ने आयुरटेक सीओई के बारे में बात करते हुए कहा,

” मैं वैद्य राजेश कोटेचा जी को उनकी उपस्थिति के साथ उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए धन्यवाद देता हूं। आयुर्वेद और प्रौद्योगिकी का सहयोग ‘एकीकृत दवाओं’ के एक नए चिकित्सा क्षेत्र को मुख्यधारा में ला सकता है। इस केंद्र की विचारधारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस का उपयोग करके सस्ती कीमत पर व्यक्ति-केंद्रित दवा पर काम करना है। आयुर्टेक सीओई शोध में इस बात को प्राथमिकता देगा कि ‘बीमारी का इलाज करने के बजाय इस बात पर शोध किया जाये कि ‘कैसे सुनिश्चित करें कि लोगों को कोई बीमारी न हो’।”

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