लोकायुक्त की नियुक्ति का वायदा चार वर्षाें में भी पूरा नहीं कर पाई सरकार 

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा सरकार चार वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। चार वर्ष के कार्यकाल में सरकार पिछले चुनाव में जनता से किए गए कई वायदों को पूरा नहीं कर पाई। अब राज्य की बागडोर नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के हाथों में है। एक वर्ष से कम का समय राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए रह गया है। पिछले चुनाव घोषणा पत्र में भाजपा ने प्रदेश की जनता से 100 दिनों के भीतर लोकायुक्त लागू करने का वायदा किया था, जिसे वह चार वर्ष बाद भी पूरा नहीं कर पाई। प्रदेश में नए जिलों के गठन का वायदा भी किया गया था, वह भी पूरा नहीं हो पाया है। अब क्या नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत रावत लोकायुक्त का गठन, जिलों के गठन व अन्य वायदों को पूरा कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने देवभूमि दृष्टिपत्र में प्रदेश की जनता से वायदा किया था कि सत्ता में आने पर 100 दिनों के भीतर लोकायुक्त का गठन कर दिया जाएगा।

18 मार्च 2021 को राज्य की भाजपा सरकार चार वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, लेकिन राज्य में लोकायुक्त का गठन नहीं हो पाया है। विपक्ष के समर्थन के बावजूद सरकार लोकायुक्त का गठन नहीं कर पाई। लोकायुक्त गठन का मामला विधानसभा की प्रवर समिति के पास पड़ा है। राज्यवासी लोकायुक्त गठन की लगातार मांग करते आ रहे हैं लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। लोकायुक्त की नियुक्ति न होने से लोकायुक्त कार्यालय में 1500 से अधिक शिकायतें लंबित पड़ी हैं। उत्तराखंड में 7 सालों से लोकायुक्त का पद रिक्त पड़ा है। बिना लोकायुक्त के लोकायुक्त कार्यालय पर 13 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है, लेकिन लोगों को इस कार्यालय का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोकायुक्त के अभाव में भ्रष्टाचार में मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।   इसके अलावा भाजपा ने राज्य में नए जिलों के गठन का जो वायदा किया था वह भी पूरा नहीं हो पाया। पूर्ववर्ती डा. रमेश पोखरियाल निशंक सरकार ने तो चार नए जिलों का शासनादेश भी जारी कर दिया था, उसके बावजूद ये जिले अभी तक अस्तित्व में नहीं आ पाए। निशंक सरकार ने जिन चार नए जिलों की घोषणा की थी उनमें यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत व डीडीहाट शामिल हैं। प्रदेश की जनता ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को भी जिला बनाने की मांग कर रही है, लेकिन कुछ दिनों पूर्व तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को जिला घोषित करने के बजाए कमिश्नरी बनाने की घोषणा कर दी, जिसका काफी विरोध हुआ। सबसे बड़ा विरोध गैरसैंण कमिश्नरी में कुमांऊ मंडल के प्रमुख जिले अल्मोड़ा को शामिल करने को लेकर हुआ। अब नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने के त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। रिस्पना और कोसी नदियों के पुनर्जीवीकरण की कोशिशें भी सफल नहीं हो पाई। 

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