गौमाता सनातन धर्म की मूलः गोपाल मणि जी महाराज

देहरादून। गौमाता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित कराने हेतु देहरादून स्थित मीनाक्षी होटल में गौक्रांति अग्रदूत गोपाल मणि जी महाराज एवं आचार्य सीता शरण जी महाराज के मुखारविंद से सप्त दिवसीय धेनुमानस गौकथा का आज विधिवत शुभारंभ हुआ है, जिसमें सामाजिक दूरी बनाते हुए सैकड़ों कथा प्रेमियों ने कथा श्रवण की।
कथा श्रवण कराते हुए महाराज जी ने कहा कि यह गौकथा दुनियां की सबसे पुरानी कथा है जिसको आज हम भूल गये है गौमाता सनातन धर्म की मूल है। आगे महाराज जी ने कहा कि भगवान राम और कृष्ण भी इस धरा पर गौ की रक्षा के लिए अवतरित हुए है। इस देश में करोड़ोु राम कृष्ण भक्त है फिर भी गौमता का तिरस्कार हो रहा है। महराज जी ने पूरे देश वासियों से आह्वान किया कि कल अनन्तचतुदर्शी के दिन लाखों लोग कैमिकल के बने भगवान गणेश की मूर्तियों को नदियों में प्रवाहित कर नदियों को प्रदूषित करेंगे जो गलत परम्परा चल पड़ी है। महाराज जी ने मंच से कहा कि वैसे तो भगवान गणेश हमेशा घर में रखने चाहिए विसर्जन नहीं पर अगर विसर्जित करना ही है तो गौमता के गोबर की बनी गणेश की मूर्तियों को विसर्जित करें इससे नदियां प्रदूषित नहीं होगी बल्कि वातावरण शुद्ध होगा। इस अवसर पर बलवीर बलवीर पंवार, उषा पंवार, शूरवीर सिंह मतुड़ा, प्रभुलाल बहुगुणा, आनन्द सिंग रावत, यशवंत सिंह रावत, अजयपाल सिंह, वसुमती पंवार, समरवीर पंवार आदि सैकड़ों गौभक्त उपस्थित रहे।

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