#विदेशी परिंदे बने हुए हैं लोगों के लिए #आकर्षण का केंद्र

देहरादून। देहरादून के हरबर्टपुर क्षेत्र में स्थित #आसन बैराज झील इन दिनों कलरव करते विदेशी पक्षियों से गुलजार है। यहां पर हजारों मील दूर से आए विदेशी पक्षी डेरा डाले हुए हैं। यह विदेशी परिंदे लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। सर्दी के मौसम में यूरोप, मध्य एशिया व साइबेरिया आदि देशों से प्रवासी पक्षी यहां पहुंच जाते हंै, क्योंकि सर्दियों के मौसम में इन देशों में झीलें व समुद्र सतह जम जाती हैं। जिस कारण ये विदेशी मेहमान हजारों मील दूर से यहां प्रवास पर पहुंुचते हैं। आसन बैराज एक बेहद खूबसूरत झील है।
हिमाचल व उत्तराखंड की सीमा पर कुल्हाल के पास ढालीपुर में स्थित आसन बैराज भारत का पहला वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व है। यह 440.44 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहां पर हर साल सर्दियों में विदेशी परिंदे पहुंचते हैं। इन दिनों आसन बैराज झील हजारों मील दूर से सफर तय कर यहां पहुंचे परिदों से गुलजार है। यहां विदेशी परिंदों की कई प्रजातियां पहुंची हंै। जिनमें कि रुडी शेलडक, पिनटेल्स, रूडी, यूरेशियन शावलर, रेड ग्रेस्टर, पोचार्ड, डक, टफ्ड स्पाट, बिल मोरगेन, टील, कॉमन कारमोरेंट, कामन पोचार्ड, कामन कूट, ग्रे लेग लिटिल इगरेट, किंगफिशर, व्हाइट ब्रिस्टेड वाटर हैन, कॉमन मोरेहन, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, वूली नेक्ड स्टॉक, स्पॉट बिल्ड डक, डूबकी मार बतख आदि शामिल हंै। ये प्रवासी पक्षी मार्च तक यहां रहेंगे। इसके बाद गर्मियों का मौसम शुरू होते ही ये प्रवासी परिंद अपने वतन लौट जाएंगे। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थल विदेशी परिदों के लिए बेहद अनुकूल है। यहां पर विदेशी परिंदों की पसंद का हर भोजन मौजूद रहता है। विदेशी पक्षियों की संख्या बढ़ने से पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के चेहरे भी खिले हुए हैं। सबसे ज्यादा शेलडक यानी सुर्खाब लोगों का अपनी तरफ ध्यान खींचते हैं। आसन में सूर्य की रोशनी में सोने से दमकते पंखों के कारण सुर्खाब सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इन दिनों प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक व पक्षी प्रेमी यहां उमड़ रहे हैं। प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ने से आसन झील की आभा देखते ही बन रही है। आसन बैराज झील आसन नदी और पूर्वी यमुना नहर के संगम पर स्थित है। आसन झील साइबेरियन पक्षियों के ठहराव स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इन विदेशी मेहमानों के दीदार को हर साल हजारों की तादाद में पर्यटक आसन बैराज का रुख करते हैं। यहां पर दिखने वाले पक्षियों को आइयूसीएन की रेड डाटा बुक (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ) में लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। वर्ष 1967 में बनी यह झील पक्षी प्रेमियों, ऑर्निथोलॉजिस्ट और प्रकृतिविदों के लिए एक आदर्श स्थान मानी गई है। 287.5 मीटर लंबे आसन जलाशय समुद्रतल से 389.4 मीटर की ऊंचाई तक चार वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका अधिकतम जल स्तर 403.3 मीटर है। यहां एविफौनल प्रजातियां प्रचुर मात्रा में हैं जो पक्षी प्रमियों को यहां आने के लिए प्रेरित करती हैं।

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