खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी, पांच सौ किलो सिंथैटिक पनीर पकड़ा

देहरादून। उत्तराखण्ड में यात्रा सीजन शुरू होते ही खाद्य पदार्थो की डिमांड बढ़ने लगती है। जिसे देखते हुए मिलावट खोर भी सक्रिय हो जाते है। जिन पर शिकंजा कसना काफी चुनौती पूर्ण काम है। इस बार मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए यात्रा सीजन शुरू होने से पहले ही खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय दिख रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार सुबह विभाग ने उत्तरप्रदेश से लाया गया 500 किलो मिलावटी पनीर पकड़ने में कामयाबी हासिल की है।  

उत्तराखंड में यात्रा सीजन शुरू होते ही दूध, दही, मावा  और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों में मिलावट खोरों की सक्रियता एक बार फिर से बढ़ गई है। सिंथेटिक दूध से लेकर नकली पनीर व मावा जैसे खाद्य सामग्रियों को होटल व रेस्टोरेंट में परोसने की शिकायत पर देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम ने कार्रवाई की. टीम ने उत्तर प्रदेश रामपुर से उत्तराखंड में सप्लाई होने वाले दुग्ध उत्पादों की चेकिंग की. जिसमें अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की.कार्रवाई के दौरान सुबह उत्तर प्रदेश के रामपुर मनिहार ग्रामीण इलाके से देहरादून हरिद्वार और रुड़की सप्लाई के लिए लाया जा रहा 5 कुंतल मिलावटी पनीर पकड़ा गया। प्रारंभिक जांच के लिए पकड़े गए पनीर को सैंपलिंग के लिए रुद्रपुर भेजा गया है। इतना ही नहीं देहरादून के हनुमान चौक सहित अन्य जगह सप्लाई होने वाले दुकानों से भी सैंपल एकत्र कर जांच के लिए भेजे गये हैं। देहरादून खाद्य सुरक्षा अधिकारी योगेंद्र पांडे और रमेश सिंह के मुताबिक गढ़वाल उपायुक्त आरएस रावत के नेतृत्व में धरपकड़  की कार्रवाई की गई। वाहन के अंदर चेक करने पर प्लास्टिक के ड्रमों में लगभग 5 कुंतल मिलावटी पनीर बरामद किया। कार्रवाई के दौरान नेहरू कॉलोनी में  गोपाल डेयरी के सामने पकड़ा गया। प्रारंभिक पूछताछ में सप्लाई करने वाले वाहन के ड्राइवर सुभाष शर्मा ने बताया कि 2 कुंतल पनीर देहरादून के अलग-अलग दुकानों में सप्लाई होना था, जबकि 3 कुंतल हरिद्वार और रुड़की की बंटी डेयरी में सप्लाई होना था। खाद्य सुरक्षा अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक पकड़े गए पनीर के लिए बकायदा बिल का पर्चा भी कार्रवाई में बरामद हुआ, जिसमें इकबाल अहमद और इरशाद नाम के व्यक्तियों के हस्ताक्षर पाए गए हैं। देहरादून जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी पीसी जोशी के मुताबिक पकड़े गए दुग्ध उत्पादों को मुर्तजा प्रधान द्वारा भेजा गया था। इसकी प्रारंभिक जांच पड़ताल में तस्दीक हो चुकी है. लेकिन विडंबना यह है कि मुर्तजा प्रधान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए उत्तराखंड की टीम उत्तर प्रदेश में अधिकृत नहीं है।

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