कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को 23 साल की उम्र में एकमुश्त 10 लाख की मदद, मिलेगी मुफ्त शिक्षा, मासिक वजीफा

नई दिल्ली। कोरोना के रूप में आई अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी में जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, उन्हें सरकार का पूरा साथ मिलेगा। यूं तो केंद्र की ओर से राज्यों को ऐसे बच्चों के लिए प्रबंध करने को कहा गया था, लेकिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार की ओर से ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा कर दी है। इन घोषणाओं में मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य बीमा, मासिक वजीफा और 23 साल की उम्र में एकमुश्त 10 लाख की मदद जैसे कदम शामिल हैं। उच्च शिक्षा के लिए ऋण भी दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए घोषणा करते हुए कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं और देश बच्चों की मदद व संरक्षण के लिए सब कुछ करेगा ताकि उनका समुचित विकास हो और वे आगे चलकर परिपक्व नागरिक बनें। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का रविवार को दो साल पूरा हो रहा है। इससे ठीक पहले सरकार ने ये बड़ी घोषणाएं की हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा शासित राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से अनाथ बच्चों के लिए घोषणा करेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक महत्वपूर्ण बैठक में विचार विमर्श के बाद कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की मदद और जीवनयापन के बारे में कई घोषणाएं की। प्रधानमंत्री ने अनाथ बच्चों के लिए घोषणा करते हुए कहा कि जिन बच्चों ने माता-पिता या संरक्षक खोए हैं और मुश्किल में हैं, उनकी देखभाल करना और उन्हें सुनहरा भविष्य देना हम सब की समाज की जिम्मेदारी है।
घोषणा के मुताबिक पीएम केयर्स के योगदान से एक विशेष योजना के तहत प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख का कोष सृजित किया जाएगा। जब बच्चा 18 वर्ष का होगा, उसे इस कोष से पांच साल तक मासिक आर्थिक मदद दी जाएगी ताकि वह अपनी जरूरतों और उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। 23 की उम्र होने पर उसे इस कोष की 10 लाख रुपये की रकम एकमुश्त दी जाएगी, ताकि वह अपनी निजी और व्यवसायिक जरूरतें पूरी कर सके।
10 वर्ष से कम आयु के बच्चे का नजदीक के केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में प्रवेश कराया जाएगा। अगर बच्चे का दाखिला प्राइवेट स्कूल में होता है, तो उसकी फीस आरटीई नियमों के मुताबिक पीएम केयर्स से दी जाएगी। इतना ही नहीं पीएम केयर्स बच्चे की यूनीफार्म और कापी किताबों का भी खर्च उठाएगा। 11 से 18 वर्ष के बच्चों का एडमीशन किसी भी केंद्र सरकार के आवासीय स्कूल जैसे सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में कराया जाएगा। अगर बच्चा किसी संरक्षक के साथ रहता है, तो उसका एडमीशन नजदीक के केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में कराया जाएगा। माता-पिता गंवाने वाले बच्चों को उच्च शिक्षा और व्यवसायिक शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण लेने में मदद की जाएगी। मौजूदा योजनाओं के मुताबिक शिक्षा ऋण लेने में मदद की जाएगी और इस ऋण का ब्याज पीएम केयर्स से दिया जाएगा। इसके अलावा भी केंद्र और राज्य की योजनाओं के तहत ऐसे बच्चों को वैकल्पिक तौर पर अंडर ग्रेजुएट या वोकेशनल कोर्स के लिए ट्यूशन फीस या कोर्स की फीस के बराबर छात्रवृत्ति दी जाएगी। जो बच्चे मौजूदा योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति पाने के अधिकारी नहीं होंगे, उन्हें पीएम केयर्स से उसके बराबर ही छात्रवृत्ति दी जाएगी। ऐसे बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख तक का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा। बीमा का प्रीमियम 18 वर्ष की आयु तक पीएम केयर्स फंड से दिया जाएगा।

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