अनेक अलौकिक रहस्यों को समेटे हुए है चन्द्रबदनी शक्तिपीठ 

देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। चन्द्रबदनी शक्तिपीठ अनेक अलौकिक रहस्यों को अपने में समेटे हुए है। भगवती चन्द्रबदनी शक्तिपीठ का यह दरबार सदियों से भक्तों के मनोरथ को सिद्ध करने वाला दरबार माना गया है। मान्यता है कि देवी के इस दरबार में श्रद्वापूर्वक की गयी पुकार कभी भी निष्फल नहीं जाती है। भक्तों के हृदय में भक्ति का सचांर करने वाली मातेश्वरी चन्द्रबदनी शक्तिपीठ की अपरम्पार महिमा को शब्दों में कदापि नहीं समेटा जा सकता है। जो जिस भाव से यहां पधारता है, भक्ति का संचार व मोह का हरण करने वाली माता चन्द्रवदनी उसकी समस्त अभिलाषायें पूर्ण करती है।  चन्द्रबदनी शक्तिपीठ टिहरी जिले में चन्द्रकूट पर्वत पर लगभग 7500 फिट ऊंचाई की चोटी पर स्थित है।

काफल, बुरांस तथा देवदार जैसे वृक्षों से घिरे हुए होने के कारण यह शक्तिस्थल बहुत ही मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। मंदिर के आसपास के घने जंगल में पशु-पक्षियों की उपस्थिति और नियमित होने वाली आरती, मंत्रोचारणों से यहां के वातावरण में दिव्यता का आभास होता है। यह एक दिव्य शक्तिपीठ मंदिर है, यहां पूजा-पाठ अनादिकाल से ही होती आ रही है। इसी कारण इससे जुड़े तमाम प्रकार के रहस्य और पौराणिक तथ्य तथा साक्ष्य भी हमें देखने और सुनने और पढ़ने को मिलते हैं। मंदिर से जुड़ी तमाम तरह की किंवदंतियां और ऐतिहासिक प्रमाण आज भी मौजूद हैं। मंदिर के गर्भगृह में मौजूद दिव्य और चमत्कारी श्रीयंत्र इस मंदिर में कब, कैसे, कहां से आया और किसके द्वारा लाया गया इस बारे में कोई खास साक्ष्य और उल्लेख मौजूद नहीं है। लेकिन, कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने इस चमत्कारी श्रीयंत्र से प्रभावित होकर ही चंद्रकूट पर्वत पर चंद्रबदनी मंदिर की स्थापना की थी। पौराणिक साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है कि भगवान विष्णु के चक्र से कट कर माता सती का धड़, यानी बदन का प्रमुख भाग इसी पर्वत की चोटी पर गिरा था, इसलिये इस स्थान का नाम चन्द्रबदनी पड़ गया और इस पर्वत का ना भी चन्द्रकूट पर्वत हो गया। पद्मपुरण के केदारखण्ड में भी माता चन्द्रबदनी शक्तिपीठ का वर्णन विस्तार से मिलता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि महाभारत काल के गुरु द्रोण पुत्र अश्वस्थामा को लोगों ने कई बार यहां माता के मंदिर के आस-पास देखा है। मंदिर से जुड़े ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों और अवशेषों से पता चलता है कि कार्तिकेयपुर, बैराठ के कत्यूरी और श्रीपुर के पंवार राजवंशी शासनकाल से पहले भी यह पीठ यहां स्थापित था। उत्तराखंड राज्य के देवप्रयाग जिले में स्थित चन्द्रकूट पर्वत की चोटी पर स्थित इस चन्द्रबदनी शक्तिपीठ मंदिर के गर्भगृह में माता की कोई विशेष आकृति या मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां माता के प्रतीक के रूप में एक श्रीयंत्र स्थापित है। किंवदंतियों और मान्यता के अनुसार मंदिर के पास ही में एक ऐसा कुण्ड भी है जो अदृश्य है। उस अदृश्य कुण्ड के बारे में कहा जाता है कि जो भक्त एवं साधू-सन्यासी यहां सच्चे मन से माता की भक्ती और तपस्या करते हैं उन्हीं को उस कुण्ड के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि माता चन्द्रबदनी मंदिर के गर्भगृह से निकल कर उस अदृश्य कुण्ड में नियमित स्नान करने जाया करती हैं। यह स्थान समस्त सिद्धियों का प्रदाता है, इसलिए इस शक्ति स्थल के दर्शन करने मात्र से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। ऋषि स्कंद के अनुसार जो भक्त यहां तीन दिनों तक फलाहार करके निवास करते हुए देवी का जाप करता है, उन्हें उत्तम प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

 3,558 total views,  2 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *