देहरादून । उत्तराखंड में इस स्थान पर लंकापति रावण को मारने के बाद भगवान श्रीराम ने वर्षों तक तपस्या कर रावण को मारने का पश्चाताप किया था। पुराणों में भी कहा गया है कि भगवान श्रीराम को रावण के मारे जाने का दुख भी था। रावण भगवान शिव का महाभक्त था। उसे मारकर पाप के भागी न बनें इसलिए श्रीराम ने तपस्या भी की थी। यह जगह है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के चोपता से तीन किलोमीटर दूर स्थित चंद्रशिला है।
यह शिला महादेव के दुनिया में सबसे ऊंचे शिवालय तुंगनाथ धाम के पास हैए इसलिए इस मंदिर से भगवान राम का भी कनेक्शन है। चंद्रशिला के टॉप पर पहुंचकर हिमालय के नंदा देवी, त्रिशूल और केदार डोम का खूबसूरत नजारा दिखता है। ये ट्रैक इजी होने की वजह से काफी फेमस है, यहां तक कि इसे 7 साल से बड़े बच्चे भी ट्रैक कर सकते हैं। समुद्र तल से 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंद्रशिला एक मनोरम पर्यटन स्थल है। गढ़वाल की हिमालय पर्वतमाला में स्थित इस जगह से पास की झीलों के अद्भुत दृश्य, घास के मैदान, नंदा देवी, त्रिशूल, केदार, बंदरपूंछ और चौखम्बा की चोटियों के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होते हैं। यह भी माना जाता है कि चाँद के देवता, चन्द्रमा ने यहाँ अपना प्रायश्चित संपादित किया था।पर्यटक यहाँ स्केलिंग, स्कीइंग और पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। चंद्रशिला ट्रैक दर्शकों के बीच सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्गों में से एक है। यह मार्ग चोपटा से शुरू होकर तुंगनाथ तक 5 किमी की दूरी तय करता है।निरंतर खड़ी चढ़ाई ट्रैकिंग को कठोर और मुश्किल बनाती है। चूँकि सर्दियों में यह मार्ग बंद रहता है अतः ट्रैकर्स अन्य मार्ग देवरिया ताल – दुग्गलबिट्टा – तुंगनाथ – चंद्रशिला द्वारा गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।