सरकार को गुमराह कर अधिकारियों ने बांट दिए आसन कंजर्वेशन में स्टोन क्रशर के लाइसेंसः मोर्चा

-भारत सरकार, उच्च न्यायालय के निर्देशों को किया गया तार-तार
-नीचे से ऊपर तक हर अधिकारी की भूमिका संदिग्ध
-आसान कंजर्वेशन की 10 किलोमीटर की परिधि में है बिल्कुल मनाही
-एमडीडीए, साडा से भी नहीं ली गई अनुमति
-राजभवन ले मामले का संज्ञान

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत के चलते सरकार को गुमराह कर आसन कंजर्वेशन जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर ही स्टोन क्रेशर लाइसेंस जारी कर क्रशर स्थापित करवा दिए। नेगी ने कहा कि भारत सरकार के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2(24क) के तहत आसन कंजर्वेशन रिजर्व को बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है तथा मा. उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका संख्या 66ध्2014 दिनांक 5ध् 5 ध्2014 में उक्त संवेदनशील क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर बिना नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति के किसी भी प्रकार की खनन से संबंधित गतिविधियों पर पूर्णतया लगा चुका है यानी रोक लगाई गई है, लेकिन बावजूद इसके नीचे से ऊपर तक अधिकारियों ने भारी भरकम रकम हासिल कर सकारात्मक रिपोर्ट लगा दी, जिसके तहत सरकार ने 6-7 स्टोन क्रेशर आवंटित कर दिए। उक्त के अतिरिक्त यह भी प्रावधानित है कि उक्त क्षेत्र में दूनघाटी (वर्तमान में एमडीडीए) से भी अनुमति जरूरी है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं। आलम यह है कि अधिकारी आमजन की पत्रावलियां यानी उनके आवेदनों पर कार्यवाही करना तो दूर, उसमें आपत्तियां लगाकर परेशान करते हैं,लेकिन माफियाओं के लिए इनके दिल में बड़ा रहम है। मोर्चा राजभवन से मांग करता है कि उक्त गंभीर मामले में संज्ञान लेकर कार्रवाई करें। अगर कार्रवाई नहीं होती है तो मोर्चा न्यायालय में दस्तक देगा। पत्रकार वार्ता में मोर्चा सचिव दिलबाग सिंह व प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे।

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