देहरादून। योगेश कुमार बावेजा, महानिदेशक पत्र सूचना कार्यालय,भारत सरकार ने कहा है कि विभाग समाचार पत्रों की नियमितता को लेकर प्रकाशकों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है ताकि नियमित प्रकाशनों को उनका अधिकार मिल सके और अनियमित अथवा बंद किये जा चुके प्रकाशनों की छंटनी हो सके। श्री बावेजा ने ऑल मीडिया जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन उत्तरांखड के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत में कहा कि आर एन आई टी नई एडवाइजरी स्वयं में स्पष्ट है और प्रकाशकों की वास्तविक कठिनाईयों की ओर मंत्रालय स्तर से उपयुक्त निराकरण के लिए विभाग पूर्ण सहयोग देगा।
यहां दो दिन के दौरे पर आए श्री बावेजा ने अमजा उत्तरांखड के प्रतिनिधि मंडल से विस्तृत चर्चा में विशेषकर सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के प्रकाशकों की कठिनाइयां सहानुभूतिपूर्वक सुनी और कुछ सुझाव तथा मार्गदर्शन भी दिया। अमजा उत्तरांखड के कोषाध्यक्ष राजकमल गोयल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिटीटलाइजेशन अभियान का लाभ पत्र प्रकाशन की नियमितता सुनिश्चित करने में भी उठाया जा सकता है। बस मंत्रालय को उसके लिए फैसिलिटी उपलब्ध करानी होगी जिसका लाभ प्रकाशकों से लेकर विभाग तक को होगा और समयांतर्गत भौतिक प्रति जमा कराने की कठिनाई का समाधान भी होगा। विभाग को इसके लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर मुद्रित प्रतियों के निस्तारण के झंझट से भी छुटकारा मिल पायेगा। उन्होंने ध्यान दिलाया कि डीएवीपी पहले ही इसे अपनाये हुए है। श्री बावेजा ने भी इस सुझाव को विचारणीय माना।
प्रतिनिधि मंडल में महामंत्री रवीन्द्रनाथ कौशिक, कोषाध्यक्ष राजकमल गोयल, गढ़वाल मंडल महिला संयोजक रेणु सेमवाल तथा देहरादून जिलाध्यक्ष सोनू सिंह थे। इससे पूर्व इसी प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी देहरादून सोनिका को उनके कार्यालय तथा पीआईबी के मीडिया एंड कम्यूनिकेशन आफिसर श्री अनिल दत्त शर्मा को उनके कार्यालय में केंद्रीय खेल, युवा कल्याण तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में अमजा उत्तरांखड ने मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर का ध्यानाकर्षण कराया है कि नियमितता और अनियमितता पर विभागीय चिंता से सहमति के बाद भी छोटे अखबारों के सीमित संसाधनों, प्रदेश मुख्यालय से दूरी और विशेषकर पर्वतीय राज्यों में दुरुह परिवहन सुविधाओं के कारण वर्ष के 365 दिन 48 घंटे में समाचार पत्र की प्रति पत्र सूचना कार्यालय पहुंचा पाना व्यवहारिक नहीं है। यदि इस एडवाइजरी में संशोधन न किया गया तो यह छोटे पत्रों का गला घोंटने का कारण बन जायेगा। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होगा।
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