देहरादून। कभी दून के बीच कल-कल करते हुए बहने वाली रिस्पना व बिंदाल नदी अपना वजूद खोने के कगार पर हैं। दोनों नदियों को पुनर्जीवित करने को लेकर सरकार, शासन, नगर निगम की ओर से कई योजनाएं बनाई गईं लेकिन नदियों को बदहाली से उबारा नहीं जा सका है। दोनों नदियों में इस कदर गंदगी व मलबा है कि इन्हें देखकर लगता ही नहीं कि ये नदियां हैं। सोसाइटी फार पॉल्यूशन एंड कंजर्वेशन साइंटिस्ट (स्पेक्स) की ओर से किए गए शोध में यह बात सामने आई थी कि इन दोनों नदियों के पानी में क्रोमियन, जिंक, आयरन, शीशा, मैगनीज, ग्रीस, तेल की इतनी मात्रा है कि नदियों का पानी इस्तेमाल करने से जिंदगी खतरे में पड़ सकती है।
शहर के पूर्वी हिस्से से होकर बहने वाली इन नदियों का जल दशकों पहले निर्मल हुआ करता था। उत्तराखंड अलग राज्य बनने पर दून को राजधानी बनाया गया तो यहां तेजी से शहरीकरण हुआ। जिसका नतीजा ये हुआ कि चारों तरफ सैकड़ों बस्तियां बस गईं और शहर का विस्तार होता चला गया, लेकिन अनियोजित तरीके से बसी बस्तियों-कॉलोनियों ने शहर की सूरत बिगाड़ दी। इसका सबसे बुरा असर शहर के बीच से गुजर रही नदियों पर पड़ा। शहर की गंदगी बिंदाल और रिस्पना नदी में डाले जाने से ये नदियां, गंदे नाले जैसी हो गईं हैं। आज यह दोनों नदियां मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई हैं। रही-सही कसर इनके किनारे उग आई अवैध बस्तियों ने पूरी कर दी। शहरभर की गंदगी ढो रही यह नदियां न सिर्फ आसपास के वातावरण को दूषित कर रही हैं, बल्कि गंगा के प्रदूषण का कारण भी बन रही हैं। असल में यह दोनों सुसवा नदी में मिलती हैं और सुसवा सौंग में। सौंग नदी गंगा की सहायक नदी है।
इनके पानी में टोटल कॉलीफार्म (विभिन्न हानिकारक तत्वों का मिश्रण) की मात्रा 76 गुना से भी अधिक है। पीने योग्य पानी में यह पात्रा एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर)/प्रति 100 एमएल में 50 से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि यह मात्रा 3800 पाई गई। यहां तक कि जिस फीकल कॉलीफार्म की मात्रा शून्य होनी चाहिए, उसकी दर 1460 एमपीएन/100 एमएल पाई गई। नदी के पानी में जहां घुलित ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा मानक से बेहद कम पाई गई, वहीं बॉयकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा बेहद अधिक है। तमाम अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा भी सीमा से कोसों अधिक रिकॉर्ड की गई। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने की बातें खूब हुईं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो पाया।