’बलिदानीं ब्रिगेड’ से जगी उम्मीदें

देव कृष्ण थपलियाल
पौडी जिले के सतपुली कस्बे मे जुटे राज्यभर के राज्य आॅदोलनकारियों नें एकत्र होकर राज्य सरकार की चिन्हित नीतियों के खिलाफ तथा राज्य आॅदोलनकारियों को उचित सम्मान देंनें के लिए एक मंच का गठन किया, ताकि राज्य के असली आदोंलनकारियों की पहचान की जा सके तथा उनके शौर्य और बलिदान गाथा को युगों-युगों तक संजाया जा सके, आनें वाली पीढियों को उनसे प्रेरणा मिल सके, और उन्हें राज्य के सरोकारों और राज्य संघर्षगाथाओं का भान होता रहे ? ’उत्तराखण्ड बलिदानीं ब्रिगेड’ के नाम से गठित राज्य आॅदोलनकारियों के इस संगठन के प्रथम अध्यक्ष के रूप में सतपुली क्षेत्र के जानें-मानें व्यवसायी और समाजसेवी ठा0सुन्दर सिंह चैहान व सचिव चन्द्रप्रकाश शर्मा को बनाया गया है। इसके अलावा राज्य भर के प्रत्येक जिले के अध्यक्ष और सचिव की घोषणा मंच से ही की गईं, वहाॅ मौजूद आॅदोलनकारियों में से ही यह दायित्व प्रदान किये गये । इसके साथ-साथ विकासखण्ड स्तर पर भी कमेंटियाॅ गठित की गईं हैं, जिसके लिए भी प्रतिनिधियों को नामित किया गया ।
ये प्रतिनिधि अपनें-अपनें स्तरों से ग्राम, कस्बों, मोहल्लों, शहरों व अपनें सगे-समंन्धियों व विभिन्न सम्पर्कों से उन आॅदोलनकारियों का पता लगायेंगें, जिन्होंनें राज्य निर्माण के लिए अपनीं सहादत दीं, जेलों में रहे और अनेंक तरह की यातनाऐं सहीं, वे किसी न किसी रूप में राज्य की लडाई में सम्मिलित रहे और पीडित रहे हैं, और पुलिस यातनाओं के साथ जेलों में बंद रहे, अपनें व्यवसाय-धंधे को तिलांजलि देते हुऐ राज्य निर्माण की हर लडाई में मजबूती के साथ खडे रहे, उन्हें चिन्हित करते हुए, उनसे जुडें तथ्य, घटनाऐं, संवाद तथा सम्बन्धित दस्तावेजों को एकत्र कर जानकारियाॅ उपलब्ध करायेंगें ? आॅदोलनकारियों की ये सभी जानकारियाॅ और दस्तावेज सतपुली में प्रस्तावित संग्रहालय में रखे जायेंगें, ताकि आनें वाली पीढी व शोधकर्ता उनका अवलोकन, अध्ययन, और वाचन कर सके, तथा उन्हें राज्य प्राप्ति के दौंरान हुऐं संघर्षों की सही जानकारी उन्हें प्राप्त हो सके !
अभी तक राज्य सरकार द्वारा गठित व चिंन्हित किऐ गये आॅदोलनकारियों की जो सूचनाऐं उपलब्ध हुईं है, वह कई मायनों में संदेहास्पद हैं ? उसमें कई महानुभाव ऐसे भी हैं, जिनका राज्य आॅदोलन से कोई सरोकार ही नहीं रहा अपितु उस दौरान राज्य आदोंलनकारियों के खिलाफ खडे रहे, परन्तु आज अपनीं ’’अच्छी राजनीतिक पकड’’ के चलते उन्हें आज ’’सच्चे आॅदोलनकारी’’ की तरह पूजा जा रहा है ? बल्कि अगर छानबीन की जाय तो ढेरों ऐसे उदाहरण व मामले भी सामनें आ जायेंगें हैं, जिनमें राज्य और आॅदोलन विरोधी लोगों की तादात सच्चे आॅदोलनकारियों से ज्यादा निकलेगी ? इन्हें आॅदोलनकारी का दर्जा प्राप्त होनंे के नाते वे सारी सुविधाऐं व लाभ प्रदान किऐ गये ? जो असली आॅदोलनकारियों को प्राप्त हैं/होंनें चाहिए थे ? ऐसे लोंग अपनें राजनीतिक आॅकाओं के दम पर इस ओहदे को पा गये ? जबकि यह उस आॅदोलनकारी के खिलाफ सरासर अन्याय है, जिसनें आॅदोलन में सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया था अपनों को खोया था ? जबकि हकीकत यह है, कि राज्य की लडाई मे सरीक रहे लोंगों को सम्मान-सुविधा की बात छोडिये सरकार उन्हें आॅदोलनकारी का दर्जा देंनें के लिए भी उन्हें दर-दर की ठोकरें खानें को मजबूर कर रही हैं ? यहाॅ ऐसे लोगों/प्रभावशाली लोगों/नेताओं का भी जिक्र होंना जरूरी है, जो तत्कालीन समय पर अच्छे ओहदे व सत्ता प्रतिष्ठानों मंे असरदार पद पर कार्यरत थे । राज्य की खातिर भटक रहे उत्तराखण्डियों को बजाय आत्मबल प्रदान करनें के उन्होंनें उसका विरोध किया ? राज्य आॅदोलन की लडाई को कमजोर करनें काम किया ? राज्य के पहले निर्वाचित मुख्यंमत्री की कुर्सी पर विराजे एक नेता जी तो उत्तराखण्ड को अपनीं लाॅश पर बनानें की बात तक कह चुके थे ? पर जब कई शहीदों की सहादत के बाद राज्य बना तो वे सिंहासन पानें हसरत नें उन्हें नई दिल्ली से वापस देहरादून की ओंर दौडा दिया ? हालाॅकि वो अब नहीं रहे ?
’उत्तराखण्ड बलिदानीं ब्रिगेड’ एक गैर राजनीतिक संगठन है, इसमें अधिकतर बुद्विजीवी एवं राज्य आॅदोलनकारी लोंगों को शामिल किया गया है, इसको धरातल पर काम करनें लिए बनाया गया है । श्री सुन्दर सिंह चैहान नें इसके लिए करीब 10 नाली जमीन दान स्वरूप प्रदान की हैं ? इसे एक स्मारक, भवन या संग्रहालय के रूप में विकसित कर राज्य आॅदोलन से जुडे तमाम दस्तावेजों को इसमें संजोया जायेगा, ताकि आॅदोलन को हमेशा के लिए जीवंत और समसामायिक बनाया जा सके । विचार गोष्ठी में राज्य के सभी जिलों से आॅदोलनकारियों नें बडी संख्या में शिरकत की।
मंचासीन वक्ताओं नें राज्य बननें बाद की स्थितियों को लेकर विशेष रूप से मंथन किया, और इस बात का लेकर चिन्ता जाहिर की कि जिन उद्देश्यों के लिए राज्य का गठन किया गया था, उस दिशा में राजनेताओं व नीति-निर्धारकों नें सोचनें तक की जहमत नहीं उठाई ? पलायन, रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य के हालात पहले बदत्तर हैं ? राजनीतिकों को केवल सत्ता और पद के लिए लडते हुऐ ही देखा जा रहा है, फिर आज राज्य की प्रासांगिकता का क्या औचित्य रह गया है ? बलिदानी ब्रिगेड उत्तराखण्ड में जनसरोकारों की लडाई के लिए आम लोगों को एक मंच प्रदान करेगा, और राज्य के उद्देश्यों के लिए निरंतर संघर्ष करेगा ?
मंच पर श्री सुंदर सिंह चैहान अध्यक्ष के अलावा गढवाल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डाॅ0 राकेश नेगी, सचिव, श्री सी0पी0 शर्मा हरिद्वार वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ0 ए0के0एस0 साहनी, राठ महाविद्यालय पैठाणी, पौडी के सहायक प्रोफेसर डाॅ0 देव कृष्ण थपलियाल, पत्रकार रेखा नेगी, जनसरोकारों से जुडे गोपेश्वर के श्री चन्द्रशेखर भट्ट प्रसिद्व साहित्यकार एवं आॅदोलनकारी श्री गणेश खुगशाल, राज्य आॅदोलन में अपनीं महत्वपूर्ण भूमिका निभानें वाले श्री भुपेन्द्र सिंह रावत जो मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे, आदि लोगों नें उत्तराखण्ड बलिदानीं मंच के कार्यों को आगे बढानें की बात कहीं।