-इस वर्ष 19,436 पर्यटक पहुंचे फूलों की घाटी के दीदार करने
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी शीतकाल के लिए पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई है। इस वर्ष फूलों की घाटी में 19,436 पर्यटक पहुंचे, जिसमें कि 330 विदेशी पर्यटक भी शामिल रहे। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से पार्क प्रशासन की आय भी अच्छी हुई। फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजातियों के फूल खिले हुए हैं। फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों और वन संपदा की सुरक्षा को देखते हुए पार्क प्रशासन द्वारा पांच ट्रैप कैमरे घाटी के महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाए गए हैं, ताकि इन कैमरों से घाटी में हो रही हर तरह की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इस वर्ष फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए 1 जून को खोला गया था।
हिमालय की विशाल पर्वतमालाओं की शानदार पृष्ठभूमि के साथ फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान आगंतुकों के लिए एक अलौकिक दृश्य और अविस्मरणीय अनुभव प्रस्तुत करता है। चमोली जिले में 87 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के दो मुख्य क्षेत्रों (दूसरा नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान है) में से एक है। इस घाटी की खोज 1931 में हुई थी, जब फ्रैंक एस स्माइथ के नेतृत्व में तीन ब्रिटिश पर्वतारोही अपना रास्ता भूल गए और इस शानदार घाटी पर पहुँच गए। इस जगह की खूबसूरती से आकर्षित होकर उन्होंने इसका नाम फूलों की घाटी रख दिया। फ्रैंक एक ब्रिटिश पर्वतारोही थे। इसके बाद ये एक मशहूर पर्यटन स्थल बन गया। फूलों की घाटी को लेकर स्मिथ ने एक किताब भी लिखी है। इस किताब का नाम है-वैली ऑफ फ्लॉवर्स।
जैसा कि नाम से पता चलता है फूलों की घाटी एक ऐसी जगह है जहाँ प्रकृति अपने पूरे वैभव के साथ खिलती है और एक अद्भुत अनुभव प्रदान करती है। ऑर्किड, खसखस, प्रिमुला, मैरीगोल्ड, डेज़ी और एनीमोन जैसे विदेशी फूल (500 से अधिक प्रजातियाँ) एक आकर्षक नज़ारा हैं। उप-अल्पाइन वन बर्च और रोडोडेंड्रोन पार्क के क्षेत्र के कुछ हिस्सों को कवर करते हैं। घाटी की ओर जाने वाला ट्रेक झरनों और जंगली धाराओं जैसे आकर्षक नज़ारे पेश करता है। समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, घाटी में दुर्लभ और अद्भुत वन्यजीव प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं जैसे कि ग्रे लंगूर, उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयन वीज़ल और काला भालू, लाल लोमड़ी, लाइम बटरफ्लाई, हिम तेंदुआ और हिमालयन मोनाल आदि।
फूलों की घाटी का वर्णन रामायण और महाभारत में भी मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फूलों की घाटी ही वो स्थान है जहां से हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार फूलों की घाटी में परियां निवास करती हैं। परियों का निवास स्थान होने की वजह से लंबे समय तक यहां लोग जाने से कतराते थे। इस घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है।
फूलों की घाटी उच्च हिमालयी भ्यूंडार वैली में पुष्पावती नदी के दूसरे छोर पर नंदन कानन में स्थित है। इस वर्ष अच्छी तादात में पर्यटक व प्रकृति प्रेमी फूलों की घाटी पहुंचे। पर्यटकों के अच्छी तादात में फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क की सैर करने से पार्क प्रशासन को भी अच्छी आय हुई। इससे पार्क प्रशासन को 39 लाख 39 हजार 250 रुपये की आय प्राप्त हुई है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क हर साल एक जून को पर्यटकों के लिए खोला जाता है और अक्टूबर अंत में बंद कर दिया जाता है। घाटी की जैवविधता और दुर्लभ वन्य जीवों की सुरक्षा को देखते हुए अभी घाटी में पांच ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। शीतकाल में बर्फबारी तक पार्क प्रशासन की रैकी टीम समय-समय पर घाटी का निरीक्षण करने के लिए जाती रहेगी।
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