देहरादून। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा केएसएम फिल्म प्रोडक्शंस, फ्लो उत्तराखंड और पंचम वेद के सहयोग से देहरादून में पांच दिवसीय महिला निर्देशकों के नाट्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। फेस्टिवल डायरेक्टर कुणाल शमशेर मल्ला ने मीडिया को बताया कि इस नाट्य महोत्सव में उत्तराखंड की निर्देशकों के साथ-साथ अन्य राज्यों से फिल्म व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय निर्देशिकाओं व अभिनेता अभिनेत्रियों के नाट्य दलों को बुलाया गया है। महोत्सव के शुभारंभ में मुख्य अतिथि गढ़ी कैंट विधायक सविता कपूर ने कहा कि देहरादून के लिए यह बड़े ही गर्व और खुशी का अवसर है कि महिलाओं पर केंद्रित इस महोत्सव की शहर वासियों के लिए शुरुआत की गई। आगे भी इस तरह के प्रयास निरंतर किए जाएंगे। फ्लो उत्तराखंड की चेयरपर्सन अनुराधा मल्ल ने कहा की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं अभिनय व नाटक एक क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उषा आर के, निशांत पवार, आशीष शर्मा, मानवी नौटियाल, अनुराग वर्मा, आशीष वर्मा आदि मौजूद रहे।
आओ थोड़ा मुस्कुरा लें नाटक का मुख्य पात्र डॉ. धनकड़ (आकाश शर्मा ) एक उच्च-शिक्षित प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं, लेकिन उनमें भूलने की गंभीर बीमारी है। उसकी पत्नी, शांति (कमलेश शर्मा) इसी वजह से परेशान तो रहती है, लेकिन प्यार बहुत करती है। उनकी बेटी, स्नेहा ( आरती धीमान ) एक उज्ज्वल और हंसमुख महिला है जो अपने पिता से प्यार करती है। परिवार का नासमझ पड़ोसी, घोष बाबू (विशाल सिंह), एक बंगाली बैचलर है, जो हमेशा कुछ न कुछ माँगने इनके घर आता जाता रहता है। परिवार का रंगीन घरेलू नौकर गुठली ( कपिल मेहरवाल) है, जो एक दयालु दक्षिण भारतीय व्यक्ति है जो हमेशा मदद के लिए मौजूद रहता है और परिवार का हकलाने वाला दामाद हैरी (लक्ष्य भरद्वाज) जो हमेशा सब पर अपना अच्छा प्रभाव डालने की कोशिश करता रहता है। दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरता यह नाटक एक भुलक्कड़ डॉक्टर के रोज मर्रा की दिन चर्या से उपजे कुछ हास्य लम्हों को समेटते हुए अंत में एक सशक्त सामाजिक संदेश के साथ खत्म होता है कि अगर हर इंसान थोड़ा बहोत बातों को भूलना शुरू कर दे तो समाज में फैली नफरत को मिटाया जा सकता है। संगीत से स्वारा लक्ष्य श्रीवास्तव ने इस रंगीन कलाकारों को अपने दिन को हँसी और मुस्कुराहट से भरते हुए देखें, क्योंकि वे आपको यह आभास देते हैं कि इस विशिष्ट भारतीय परिवार की चालें कैसी दिख सकती हैं।