विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा 29 अक्टूबर 2021 में अनिल कुमार को प्रबंध निदेशक, यूपीसीएल नियुक्त किया था तथा नियुक्ति से पूर्व 23 सितंबर 2021 को इनको 5 वर्ष की गोपनीय प्रविष्ठियां एवं 10 वर्ष की अनुशासनिक कार्रवाई का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन नियुक्ति के समय तक इनके द्वारा उक्त दस्तावेज जमा नहीं गए कराए गए।
उक्त नाफरमानी के खिलाफ शासन द्वारा 09 नवंबर 2021 को अनिल कुमार को पुनः उक्त दस्तावेज जमा कराने के निर्देश दिए गए, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। उसके उपरांत शासन द्वारा पुनः 29 नवंबर 2021, 9 दिसंबर 21 एवं 20 दिसंबर 21 को पुनः अनुस्मारक भेज कर तत्काल दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, लेकिन हर बार शासन के हाथ निराशा लगी। नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि उक्त एमडी से दस्तावेज प्राप्त करने के लिए सरकार याचना पर याचना करती रही, लेकिन नाफरमान अधिकारी द्वारा दस्तावेज जमा न कराया जाना इस बात को दर्शाता है कि बहुत बड़ी डील इस मामले में हुई थी; अन्यथा क्यों नहीं सरकार द्वारा उक्त नाफरमान अधिकारी को बर्खास्त किया गया। उक्त नाफरमान अधिकारी को बर्खास्त किया जाना तो दूर, एमडी, पिटकुल का भी अतिरिक्त कार्यभार देकर और मेहरबानी जता दी गई, जबकि इनकी नियुक्ति प्रकरण उच्च न्यायालय में लंबित होने के साथ-साथ इन पर ट्रांसफार्मर घोटाले के भी दाग आज तक कायम है। नेगी ने कहा कि अगर किसी अन्य कार्मिक का नियुक्ति प्रकरण होता तो कब का उस कर्मिक को घर बैठा दिया जाता। पत्रकार वार्ता में के.सी. चंदेल, सुशील भारद्वाज, अमित सिंघल, जाबिर हसन मौजूद थे।