विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित खनन कारोबार से जुड़ी दो जनहित याचिकाएं 104/2019 व 212/2019, जिसके द्वारा स्टोन क्रेशर स्क्रीनिंग प्लांट पॉलिसी को चुनौती दी गई है तथा इस मामले में सुनवाई हेतु 22 जुलाई 2021 की तिथि नियत थी, जिसमें सरकार द्वारा सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को विशेष तौर पर पैरवी हेतु आबद्ध (एंगेज) किया गया था।
उक्त पैरवी कराए जाने को लेकर मोर्चा द्वारा सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया था, जिसका असर ये हुआ कि सरकार द्वारा सॉलिसिटर जनरल की जगह प्रदेश के ही वरिष्ठ अधिवक्ता ए एस रावत को विशेष अधिवक्ता नियुक्त कर पैरवी करवानी पड़ी, कारण चाहे जो भी रहे हों यहां सबसे बड़ा सवाल है कि सरकार द्वारा महाधिवक्ता व उनकी टीम पर लाखों-करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है, बावजूद इसके, बाहर के विशेष अधिवक्ताओं को पैरवी हेतु एंगेज किया जा रहा है, जोकि सरकार की मंशा के साथ-साथ महाधिवक्ता व उनकी टीम की काबिलियत पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती है। प्रकरण यह है कि जनपद हरिद्वार, उधम सिंह नगर व नैनीताल के लगभग 300 से अधिक स्क्रीनिंग प्लांट्स स्टोन क्रशर को स्कूल, अस्पताल आवासीय तथा धार्मिक क्षेत्र इत्यादि स्थानों से 300 मीटर दूर रखने एवं पर्यावरण संरक्षण किए जाने से संबंधित है। नेगी ने कहा कि सरकार की छटपटाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उक्त याचिकाओं में पैरवी हेतु सरकार द्वारा पूर्व में प्रदेश के महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की टीम को दरकिनार कर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को विशेष रुप से आबद्ध किया गया है था। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि न्यायालय में खनन शराब व अन्य मामलों में पैरवी हेतु नियुक्त किए गए विशेष अधिवक्ताओं पर खर्च की गई धनराशि के मामले में श्वेत पत्र जारी करें।