देहरादून। कहते है जहां शिक्षक समाज निर्माता होता हैं वहीं समाज सृजन की जिम्मेदारी भी उन पर होती हैं आज हम बात कर रहें हैं ऐसे शख्स की जो पेशे से शिक्षक हैं और विगत तीस सालों से पर्यावरण संरक्षण, संवर्द्धन के लिए समर्पित हैं वो शख्स हैं डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी जिनकी पहचान उत्तराखंड में वृक्षमित्र के रूप में होती हैं और वर्तमान में राजकीय इण्टर कालेज मरोड़ा (सकलाना) टिहरी गढ़वाल में प्रवक्ता भूगोल के पद पर नियुक्त हैं।
वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी 2016 में पदोन्नति होकर इस विद्यालय में आये और यहां भी उन्होने वही कार्य किया जो वे तीस सालों से करते आ रहे हैं वृक्षमित्र ने विद्यालय के खाली भूमि में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाकर वृक्ष वाटिका बना डाली जिस वृक्ष वाटिका में आड़ू, पुलम, अनार, सेब, नाशपती, तेजपाल, मोरपंखी, वोटलब्रास, शहतूत, तुसारू, देवदार, हेड़ा बहेड़ा सहित सौ से अधिक पौधों का रोपण किया हैं जो अब फल देने लग गए हैं, पौधे उपहार में देने व जन्मदिन पर पौधारोपण के प्रेरणास्रोत व जन चेतना फैलाने वाले डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ही हैं।
वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी कहते हैं इस प्रकृति देवता ने मुझे बच्चों को अच्छी शिक्षा देने व पर्यावरण संरक्षण की दो जिम्मेदारी दी हैं जिन्हें मैं निभा रहा हूँ आज जो ये वृक्ष वाटिका दिख रही हैं उसमें रोपित पौधों को जीवित करने में मुझे बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पौधों के सुरक्षा के लिए बाड़ा व तारबाड़ करता था रात को उसे उखाड़ कर फैंक देते हैं लकड़ी के खम्बों को तोड़ देते थे इन पौधों को पाला की सुरक्षा के लिए स्वयं अपने पैसो से बाड़ा बनाता था और स्कूल छुट्टी के बात पानी डालता था। गर्मी व सर्दी के छुटियों में इन पौधों को बचाने के लिए पानी डालने आया करता था मैंने इन्हें बचाने के लिए क्या किया आज ये वृक्ष वाटिका मेरी मेहनत को बयां करती हैं। मेरा प्रयास हैं मैं अधिक से अधिक फलदार पौधों का रोपण करू ताकि छात्रों को खाने के लिए फल मिल सके। फलदार पौधों को हम अपने रोजगार के स्रोत भी बना सकते हैं जिसके लिए हमें अपने घर से सुरुआत करनी होगी। वृक्ष वाटिका में अंजली हटवाल मधु हटवाल, राधिका नेगी, दीपक सिंह आदि हैं।
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