ग्राम प्रहरियों को 6 महीने से नहीं मिला मानदेय, गहराया रोजी-रोटी का संकट

रुड़की। पुलिस का सूचनातंत्र कहे जाने वाले ग्राम प्रहरियों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों से ग्राम प्रहरियों को मानदेय नहीं मिल रहा है, जिसके कारण पुलिस के सूचनातंत्र पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पुलिस द्वारा ग्राम सुरक्षा प्रहरी की नियुक्ति गांव तक अपने सूचना तंत्र को मजबूत बनाने के लिए की जाती है। इन ग्राम प्रहरियों से गांव में होने वाली तमाम छोटी-बड़ी आपराधिक धटनाओं की जानकारी आसानी से मिल जाती है। इसलिए ग्राम प्रहरी को पुलिस का मजबूत सूचनातंत्र कहा जाता है। ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान ग्राम प्रहरियों की भूमिका काफी अहम रहती है। ग्राम पंचायत के चुनाव में माहौल शांतिपूर्ण रहे, इसके लिए ग्राम प्रहरी हर छोटी बड़ी गतिविधियों पर नजर रखते हैं और समय रहते पुलिस को सूचित करने और सतर्क करने का काम करते हैं। वहीं, ग्राम प्रहरियों का कहना है कि उनको काफी समय से मानदेय नहीं मिल रहा है, जिसके कारण उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
ग्राम सुरक्षा प्रहरियों की नियुक्ति गांव में होने वाली हर तरह की गतिविधियों की जानकारी देने के लिए होती है। लेकिन थानों में उपेक्षा और मानदेय समय से ना मिलने की वजह से वह सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं कर पा रहे हैं। अगर बात हरिद्वार की करें तो यहां तैनात ग्राम प्रहरियों को करीब पिछले 6 महीनों से मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है। उनका कहना है कि उन्हें हर महीने वेतन दिया जाना चाहिए ताकि वो भी अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। उन्होंने कहा कि वो अपने क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की जानकारी पुलिस को देते हैं, ताकि पुलिस अपराध पर अंकुश लगा सकें। वहीं, एसएसपी डी सेंथिल अबुदई कृष्ण राज एस का कहना है कि ग्राम प्रहरी पुलिस के लिए अच्छा सूचना तंत्र माना जाता है। इसके लिए थाना स्तर पर ग्राम प्रहरियों के कार्यों की समीक्षा की जाती हैं और उन्हें सम्मानित भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि जो भी फंड आता हैं उससे उनकी हर संभव मदद की जाएगी।