देहरादून। मां की सांसों की डोर टूट गई, लेकिन उसने जिगर के टुकड़े को नहीं छोड़ा। यही कारण है कि भीषण सड़क हादसे के बाद भी मां के आंचल में मौत को मात देकर सुरक्षित दो साल की मासूम घर लौट आई है। लालढांग से बारात लेकर पौड़ी गई बस में करीब 52 लोग शामिल थे, जिनमें तकरीबन 15 बच्चे और महिलाएं भी सवार रहे। सड़क हादसे में ग्रामीणों की मौत से गांव में कोहराम मचा हुआ है। दरअसल, जितने भी लोग बस में सवार थे, उनमें से सकुशल वापस लौटने वालों में गिने चुने लोग है।
पर बरात में दूल्हे संदीप की रिश्तेदार रसूलपुर की गुड़िया और उसकी दो साल की बेटी दिव्यांशी भी बस में सवार होकर गई थी। बस में दिव्यांशी अपनी मां की गोद में थी, मगर हादसे के दौरान 500 फीट गहरी खाई में बस के गिरने के बाद भी गुड़िया ने अपनी मासूम बेटी को अपने से अलग नहीं होने दिया। वह अंतिम समय में भी उसे अपनी गोद में रही। हादसे में गुड़िया की तो मौत हो गई, लेकिन बेटी दिव्यांशी को बचा गई। दूल्हे की कार के चालक धर्मेंद्र उपाध्याय ने बताया कि शाम लगभग 6.00 बजे की घटना के बाद जब रेस्क्यू टीम ने गुड़िया को देखा तो उसकी तो मौत हो चुकी थी, लेकिन गोद में बैठी दिव्यांशी सुरक्षित थी। करीब 11 घंटे दिव्यांशी अपनी मां की गोद में सुरक्षित रहकर नया जीवन पा गई। बताया कि वह भी यह देखकर हैरान था कि बच्ची न केवल सही सलामत है और गोद से छिटककर भी कहीं और नहीं गिरी। वरना गोद से अलग होने पर भी उसके साथ कुछ हो सकता था। हादसे के बाद बच्ची अब अपने घर पर पहुंच चुकी है। जहां वह कुछ भी नहीं समझ पा रही और बार-बार केवल मां को ही याद कर रही, लेकिन उस मासूम को यह नहीं पता कि उसे बचाने वाली उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है।
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