‘उत्तम आकिंचन्य धर्म के बारे में बताया 

देहरादून। पर्वराज पर्युषण पर्व दसलक्षण धर्म के अवसर पर जो जैन धर्मशाला में मुनि श्री 108 विबुद्ध सागर जी महाराज एवम 105 क्षुल्लक श्री समर्पण सागर जी महाराज के आशीर्वाद से चल रहा है में श्री जी का अभिषेक पूजन भक्तिमय संगीत के साथ किया जा रहा है। उत्तम आकिंचन्य धर्म के बारे में बताते हुए महाराज श्री ने कहा कि आकिंचन्य अर्थात भगवान आत्मा के सिवा इस लोक में कोई भी/कुछ भी (परिग्रह) मेरा नहीं है, ऐसा भाव। यह भाव जब सच्ची श्रद्धा (सम्यग्दर्शन) के साथ होता है, तब ‘उत्तम आकिंचन्य धर्म’ नाम पाता है।
आचार्य उमास्वामी जी श्री तत्त्वार्थसूत्र जी में लिखते हैं, ‘मूर्छा परिग्रहः’ अर्थात मोह के उदय से पर पदार्थों में होने वाला मूर्छा (ममत्व/ ये मेरा है) का भाव, वही परिग्रह है। और परिग्रह के प्रति राग का भाव जब छूट जाता है, तब उत्तम आकिंचन्य धर्म प्रगट होता है। यहाँ यह बात विशेष समझना, कि मात्र परिग्रह का बाहर में त्याग करने से उत्तम आकिंचन्य धर्म नहीं हो जाता। ‘परिग्रह मुझ आत्मा की सीमा में है ही नहीं, कभी आया ही नहीं तथा कभी आएगा ही नहीं’, यह समझकर उसके प्रति ममत्व को घटाना तथा फिर बाहर में छोड़ने पर ही ‘उत्तम आकिंचन्य धर्म’ प्रगट होता है। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए भवन मंत्री मधु सचिन जैन ने बताया कि आज 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर माजरा के अंतर्गत महिला मंडल के तत्वावधान में महाआरती थाल सजाओ प्रतियोगिता और बच्चों के लिए फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। अनंत चतुर्दशी रविवार 19 सितंबर के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए जैन भवन मंत्री संदीप जैन ने बताया कि प्रातः 8.30 बजे सामूहिक लड्डू, 2.30 बजे पालकी यात्रा जैन धर्मशाला प्रांगण में तत्पश्चात संस्था द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और 4.30 बजे पारणा महोत्सव जैन धर्मशाला में सौरभ सागर सेवा समिति द्वारा किया जाएगा।
इस अवसर पर महामंत्री हर्ष जैन, संयोजक आशीष जैन, अर्जुन जैन, सुखमाल जैन, रजनी, दीपा, सारिका, सुधा, अर्चना, मीता, अंजलि, कविता, मुकेश, राहुल, आदिश, प्रवीण, दिनेश, मधु, संजय आदि लोग मौजूद रहे।