होटल रेस्टोरेंट व पर्यटन को कोरोना की मार से बचाने की

देहरादून। कोरोना काल में सेवा क्षेत्र की मुश्किलों को कम करने और फ्रंटलाइन कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा की गुहार लगाते हुए होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा सूबे के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया हैै। इसमें होटल और रेस्टोरेंट कर्मचारियों को भी फ्रंटलाइन वर्कर मानने की मांग की गई है।
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट गुरबख्श सिंह का कहना है कि बीते साल कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते 30 फीसदी होटल और रेस्टोरेंट बंद हो चुके हैं। वहीं 50 फीसदी अभी तक अपने नुकसान की भरपाई भी नहीं कर पाए हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और होटल, रेस्टोरेंट व पर्यटन क्षेत्र की देश की अर्थव्यवस्था में वही भागीदारी है जो कुल जीडीपी का 10 फीसदी है तथा 90 मिलीयन लोगों की रोजी इस क्षेत्र पर निर्भर है।
उनका कहना है कि इन दिनों कोरोना की लहर के दौरान एक बार फिर केंद्र सरकार और सभी राज्यों की सरकारों द्वारा नई गाइड लाइन लाई जा रही है। उनका कहना है कि हर रोज नई नई गाइडलाइन आने के कारण यह समझना भी मुश्किल हो जाता है कि क्या गलत है और क्या सही है। वह क्या करें, रोज रोज बदले जाने वाले नियमों के कारण एक अनिश्चितता का माहौल पैदा हो रहा है। जिससे सेवा क्षेत्र में लोग कोई भी सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। कंटेनमेंट जोन तथा नाइट कर्फ्यू और लॉकडाउन जैसी स्तिथियों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन तय की जानी चाहिए। उन्होंने पत्र में सेवा क्षेत्र के लोगों को छूट देने और आर्थिक सुविधाएं प्रदान करने की मांग भी मुख्यमंत्री से की है। उनका कहना है कि बीते कल जो छूट बीते साल जो छूट व सुविधा दी गई थी वह बहुत ही कम थी। उन्होंने कहा कि इस सेवा क्षेत्र को जीवित रखने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है।