हजारों लोगों के पांव थिरके मनोज तिवारी के भोजपुरी गीतों पर

देहरादून। विरासत महोत्सव में आज शुक्रवार को स्कूली छात्र-छात्राओं ने कला प्रदर्शनी के माध्यम से अपने-अपने हुनर का अपने-अपने मासूम हाथों से शानदार एवं बेहतरीन प्रदर्शन करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। खास बात यह रही कि स्कूली बच्चों द्वारा प्रदर्शित की गई ड्राइंग प्रतियोगिता में बच्चों ने जिस प्रकार से अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया, उसमें दुनिया भर की खूबसूरत तस्वीरों को कागजों पर उकेरा गया।
विरासत महोत्सव के आज ग्यारहवें दिन सुबह की शुरुआत इन्हीं स्कूली बच्चों की कला प्रतियोगिता के साथ हुई, जिसमें भिन्न-भिन्न स्कूलों के 200 से अधिक बच्चों ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में हिस्सेदार बनने वाले स्कूलों के नाम क्रमशः दून इंटरनेशनल स्कूल, दून सरला एकेडमी, द दून गर्ल्स स्कूल, सेंट कबीर एकेडमी, केंद्रीय विद्यालय हाथी बड़कला, आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमेनटाउन, गुरु नानक एकेडमी,श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल बालावाला, हिल फाउंडेशन स्कूल, द टोंस ब्रिज स्कूल, सेंट जटस स्कूल, पाइन हॉल स्कूल आदि शामिल रहे। बच्चों ने अपने नन्हे नन्हे हाथों से कागज के पन्नों पर घर बनाए गांव में खुशहाल जिंदगी के खूबसूरत मकान बने विरासत का महल बनाया बिटिया की तस्वीर बनाई।
विरासत महोत्सव में आज की दोपहर बहुत ही रोचक, आकर्षक एवं मानसिक कसरत वाली दोपहर के रूप में दर्ज होने के साथ अनोखे अंदाज वाली भी साबित हुई है। क्योंकि श्खजाने की खोजश् के लिए भिन्न-भिन्न स्कूलों से आए छात्र-छात्राओं की मानसिक अथवा दिमागी कसरत प्रत्यक्ष रूप से देखी और  परखी गई। विरासत के हिस्से के रूप में आयोजित एक रोमांचक खजाने की खोज में सभी छात्र उत्सुकता भरे जोश को लेकर शामिल हुए। इस खोज में छह छिपे हुए चिट शामिल थे, जिनमें से प्रत्येक को विभिन्न स्टालों में रखा गया था, जिससे प्रतिभागियों के लिए उत्साह के साथ-साथ चुनौती भी बढ़ गई थी। दून इंटरनेशनल स्कूल और श्री गुरु राम राय (एसजीआरआर) स्कूल, बालावाला दोनों के छात्रों ने इस गतिविधि में भाग लिया और शानदार टीमवर्क और उत्साह दिखाया। दून इंटरनेशनल स्कूल, सिटी कैंपस की टीम विजयी हुई, जिसने सभी छिपे हुए सुरागों को सफलतापूर्वक खोज निकाला और सभी छात्र-छात्राओं ने अपनी जीत का जश्न खुशी के साथ मनाया। विरासत महोत्सव की संध्या का आज विधिवत शुभारंभ करने वाले मुख्य अतिथि ओएनजीसी के सीवीओ रंजन प्रकाश ठाकुर रहे। उन्होंने  पूर्व विदेश सचिव, भारत सरकार श्याम सरन के साथ विरासत की संध्या का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।
सांस्कृतिक संध्या में खूबसूरत सितार वादन कार्यक्रम हुआ। इस सितार वादन को मेहताब अली नियाजी ने अपनी उंगलियां व सुर कंठ से प्रदर्शित करके सभी आए हुए मेहमानों का दिल मोह लिया। विरासत में आज की संध्या की शुरुआत मशहूर विख्यात सितार वादक मेहताब अली नियाजी की शानदार प्रस्तुति के साथ हुई प् मुख्य मंच पर आज की महफिल के खास मेहमान बने मेहताब अली नियाज़ी ने प्रतिभाशाली तबला वादक पंडित शुभ महाराज के साथ मिलकर राग शुद्ध से अपनी प्रस्तुति शुरू की। सितार के कोमल स्वर तबले की लयबद्ध थाप के साथ खूबसूरती से मिश्रित हुए, जिससे एक शांत और आकर्षक माहौल विरासत की महफिल में बना। मेहताब अली नियाज़ी प्रसिद्ध भिंडी बाज़ार घराने से हैं। अपने पिता कुशल सितार वादक उस्ताद मोहसिन अली खान द्वारा सितार की दुनिया में प्रवेश पाने वाले मेहताब ने 4 साल की छोटी सी उम्र में अपने पिता और भिंडी बाज़ार घराने के प्रतिष्ठित हारमोनियम वादक उस्ताद वज़ीर अली कादरी के मार्गदर्शन में सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने पंडित बिरजू महाराज जी के जन्मदिन समारोह के दौरान 6 साल की उम्र में अपना पहला प्रदर्शन किया। उन्होंने 2016 में संगीत नाटक अकादमी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता, मुख्य बात यह है कि उनकी सितार वादन वाली सांस्कृतिक यात्रा उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरी हुई है। उन्होंने सफल अंतर्राष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उल्लेखनीय प्रदर्शनों में कोलकाता में बंगाल फाउंडेशन, बैंगलोर में भूमिजा ट्रस्ट, बनारस में संकट मोचन और गुरु पूर्णिमा के दौरान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा खान साहब को श्रद्धांजलि शामिल हैं। इंडिया टुडे के अगले 100 अचीवर्स में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त भी हैं। वह 2019, 2020 और 2022 में प्रतिष्ठित षणमुखानंद फेलोशिप पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं। उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति और प्रभावशाली संगीतमयता को 2023 में इंडिया टुडे के कॉन्क्लेव में प्रस्तुत करने के लिए निमंत्रण के साथ स्वीकार किया गया। सितार वादक महताब अली नियाजी ने आज की विरासत में अपनी शानदार प्रस्तुति देकर अपनी सुनहरी, आकर्षक और लोगों का दिल छू लेने वाली छाप छोड़ दी है प्
विरासत की महफिल में आज एक ऐसी शख्सियत के दर्शन करने का भी सौभाग्य विरासत के सभी मेहमानों को प्राप्त हुआ, जो भोजपुरी गायक भी हैं और अभिनेता भी होने के साथ-साथ एक विख्यात राजनीतिज्ञ भी हैं। उनके दिए गए हर पल आज सभी के लिए यादगार बन गए। ऐसी शख्सियत का नाम है मनोज तिवारी प् आज मनोज तिवारी के भोजपुरी गीत-चदरिया झीनी रे झीनी…..झीनी रे झीनी  पर मस्त होकर जमकर झूमे लोग।  भोजपुरी के मशहूर गायक मनोज तिवारी ने संध्या में चार चांद पर चार चांद लगा दिए प् उनके भोजपुरी गीत विरासत के मेहमानों के लिए बहुत ही पसंदीदा बने प्  प्रसिद्ध कलाकार मनोज तिवारी के भोजपुरी कई गीत आकर्षक प्रस्तुति के साथ मंच की शोभा बढ़ा रहे थे। निमिया के डाल मईया लावेली झुलुहवा हो की झूली रे झूली…अरे, अइसन मनोहर, मंगल मूरत सुहावन, सुंदर सूरत हो, ए राजा जी…ए राजा जी…ए राजा जी, एकरे त रहल… के साथ  बिहार के लोकप्रिय पर्व छठ के ऊपर भी..  हे छठी मैया.. गाना गया  ठंडो रे ठंडो, मेरा पहाड़े की हवा ठंडी, पाणी ठंडो..ठंडो रे ठंडो, मेरा पहाड़े की हवा ठंडी, पाणी ठंडो३. पहाड़ी गाना गया। उनके साथ संगीतकारों की एक कुशल टीम ने साथ दिया प् संगीतकार बैंजो पर शंकर वर्मा, कीबोर्ड पर बबलू आलम, पैड पर वीरेंद्र श्रीवास्तव, पर्क्यूशन और टीम मैनेजर प्रभुनाथ राय दधी तबला पर, ज्ञान मिश्रा ढोलक पर, मोतीलाल शर्मा कोरस पर, वायरल विकास और लालू प्रसाद रहे। जाने माने मनोज तिवारी मनोरंजन उद्योग और भारतीय राजनीति दोनों में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जिन्हें गायक, अभिनेता और राजनीतिज्ञ के रूप में उनके बहुमुखी योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने शुरुआत में अपने भोजपुरी संगीत के माध्यम से व्यापक पहचान हासिल की प्ष्रिंकिया के पापाष् जैसे हिट गानों के साथ एक घरेलू नाम बन गए, जिसने पूरे भारत में भोजपुरी संगीत को लोकप्रिय बनाने में मदद की। उनकी संगीत की सफलता ने उनके अभिनय करियर का मार्ग प्रशस्त किया, जहाँ उन्होंने कई भोजपुरी फ़िल्मों में अभिनय किया, जिसने भोजपुरी फ़िल्म उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मनोरंजन के लिए एक स्वाभाविक स्वभाव के साथ, तिवारी के प्रदर्शन ने दर्शकों के साथ गहराई से प्रतिध्वनित किया। विशेष रूप से उत्तरी भारत में जहाँ उनके गीत और फ़िल्में एक सांस्कृतिक घटना बन गईं। मनोरंजन से राजनीति में बदलाव करते हुए मनोज तिवारी ने संसद सदस्य के रूप में भी काम किया है प् अपने बहुमुखी करियर के माध्यम से जनता से जुड़ने के लिए विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक कारणों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। एक प्रसिद्ध भोजपुरी कलाकार से एक सम्मानित राजनीतिक व्यक्ति तक का उनका सफर उनकी विविध प्रतिभाओं और उनकी सांस्कृतिक विरासत से गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
रिच संस्था की ओर से ओएनजीसी के डॉ. भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित हो रहे विशाल विरासत महोत्सव-2024 के आकर्षक एवं भव्य आयोजन में जहां प्रतिदिन उत्साह पूर्वक हजारों की संख्या में विरासत के मेहमान बनकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पहुंचकर पूर्ण आनंद ले रहे हैं, वही सांस्कृतिक हस्तियों की शानदार प्रस्तुतियों की यादगार वाली कीमती धरोहरों को भी अपने मन मस्तिष्क व दिलों में लेकर जा रहे हैं प् यही नहीं, विरासत की शानदार महफिल में अब तक आ चुके लाखों की संख्या में सभी मेहमान इस बात को लेकर संतुष्ट नजर आए हैं कि विरासत महोत्सव की व्यवस्था में ओएनजीसी प्रशासन, सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस,खास तौर से महिला पुलिस तथा आयोजन करने वाली रिच संस्था की टीम सुरक्षा व्यवस्था तथा अनुशासित वातावरण को बनाए रखने में अब तक पूरी तरह से सफलतम साबित होती आई है प् विरासत महोत्सव के प्रथम आयोजन से लेकर आज ग्यारहवें दिन के आयोजन का कार्यक्रम सफलतम एवं पूर्ण होने तक पुलिस प्रशासन का सहयोग एवं उनकी चाक चौबंद व्यवस्था संतोष जनक रूप में दर्ज हुई है प् इस दौरान विरासत के आयोजन में क्योंकि महिलाओं, युवतियां की संख्या विरासत के बतौर मेहमान के रूप में काफी अधिक प्रतिदिन हुई है, तो इसी को मद्देनजर रखकर महिला पुलिसकर्मियों द्वारा दी गई ड्यूटी भी संतोषजनक दर्ज हुई है। वास्तव में इसके लिए ओएनजीसी प्रशासन, पुलिस प्रशासन और रिच संस्था निश्चित रूप से बधाई की पात्र है।

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