शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह

देहरादून। शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। हर दिन शीतकालीन प्रवास स्थलों पर श्रद्धालू बड़ी संख्या में देव दर्शन को पहुंच रहे हैं। शीतकालीन यात्रा को लेकर स्थानीय लोग भी बेहद खुश हैं। अब तक 17000 से अधिक तीर्थयात्री चारधामों के शीतकालीन प्रवास स्थलों पर दर्शन कर चुके हैं। इनमें केदारनाथ के शीतकालीन प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में सर्वाधिक 7,582 श्रद्धालु पहुंचे हैं, जबकि पांडुकेश्वर में 5,904 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए हैं।
बाबा केदार के दर्शन के लिए हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। गंगोत्री धाम के प्रवास स्थल मुखबा में 4,114 श्रद्धालु मां गंगा और यमुनोत्री धाम के प्रवास स्थल खरसाली में 914 तीर्थयात्री मां यमुना के दर्शन कर चुके हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं में यात्रा को लेकर खासा उत्साह है। बाबा केदार एवं मद्महेश्वर भगवान की डोली शीतकाल के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होती है। छह माह तक यहीं भगवान केदारनाथ और मद्महेश्वर के दर्शन होते हैं। बाबा केदार के दर्शन के लिए हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। ठंड से बचाव के लिए पुख्ता व्यवस्थाएं की गई हैं। शीतकालीन यात्रा का आयोजन इस बार पहली बार किया गया है और भक्तों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि जनवरी तक यह यात्रा और भी तेजी से बढ़ सकती है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा श्रद्धालुओं को खास ऑफर भी दिए गए हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम के अतिथि गृहों में ठहरने पर 25 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। इसके अलावा, मंदिर समिति के गेस्ट हाउस भी श्रद्धालुओं के लिए उचित कीमतों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के यात्रा का आनंद ले सकें।
शीतकालीन चारधाम यात्रा न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर रही है, बल्कि यात्रियों को पहाड़ी क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद भी मिल रहा है। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी डोली उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान है, जहां अगले वर्ष कपाट खुलने तक पूजा-अर्चना की जा रही है। श्रद्धालु यहां पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन कर रहे हैं। इसी तरह भगवान बद्री विशाल की डोली पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बद्री मंदिर में पहुंचती है, जहां भक्त भगवान के दर्शन कर सकते हैं। मां गंगा की डोली मुखवा गांव और मां यमुना की डोली खरसाली स्थित उनके मंदिरों में विराजमान होती है। शीतकालीन यात्रा के दौरान इन गद्दीस्थलों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। शीतकालीन यात्रा को लेकर स्थानीय लोग भी बेहद खुश है।

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