पेपर लीक मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिेकारियों की भूमिका संदिग्ध

देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की प्रिंटिंग प्रेस से ही पेपर लीक का खेल शुरू हुआ था। पेपर लीक होते रहे और आयोग सोता रहा। मामले में एसएसपी ने कहा कि किसी को भी क्लीन चिट नहीं है। सबकी जांच होगी। पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भी शक और सवालों के घेरे में आ गया है। आयोग इसमें अभी तक सीधे तौर पर भले ही शामिल न हो, लेकिन लापरवाही बड़े स्तर की नजर आ रही है। मास्टरमाइंड आउटसोर्स कंपनी का है, लेकिन एसटीएफ आयोग के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है।
पेपर लीक के खेल की शुरुआत आयोग की खुद की प्रिंटिंग प्रेस से हुई और किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। वहां के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित तो कर लिए, लेकिन किसी ने इनमें कैद हुई हरकतों पर गौर नहीं किया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आयोग परीक्षा का सारा काम आउटसोर्स कंपनी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन को सौंपकर खुद सो गया। किसी परीक्षा को आयोजित कराने में मैनपावर और तकनीकी सहायता तो किसी कंपनी की ली जा सकती है। मगर, इसकी देखरेख तो आयोग को ही करनी होती है।
पेपर ठीक छपे, सही सेट बने और परीक्षा में किसी अनुचित साधन का उपयोग न हो, इसकी पूरी जिम्मेदारी परीक्षा नियंत्रक की होती है। मगर, यहां परीक्षा नियंत्रक तो कहीं नजर ही नहीं आ रहे। पेपर लीक के खेल की शुरुआत लखनऊ से नहीं बल्कि रायपुर स्थित आयोग की प्रिंटिंग प्रेस में हुई। यह क्षेत्र पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में था। इसके बावजूद यहां आसानी से आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन के कर्मचारी ने पेपर को अपनी पेन ड्राइव में ले लिया। हर काम देखरेख में हुआ, यह भविष्य में दिखाने के लिए सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित भी रख लिया गया। मगर, एक बार भी इसे देखने की जहमत नहीं उठाई गई कि यहां किसने क्या हरकत की। यह सब लापरवाही है या कुछ और यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन एसटीएफ जांच के दायरे में अब सब आ गए हैं। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इस मामले में क्लीन चिट किसी को नहीं दी गई है। इस मामले में अगर आयोग में किसी पर आपराधिक मामला नहीं बना तो लापरवाही की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसकी एक रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी ताकि गंभीर लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई हो।

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