देहरादून। उत्तराखंड के लिहाज से भाजपा का अभेद दुर्ग मानी जाने वाली गढ़वाल लोकसभा सीट पर सीएम पुष्कर धामी की ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं भाजपा प्रत्याशी के लिए संजीवनी साबित हो रही हैं। सीएम की सभाओं ने इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल के इमोशनल ग्राउंड पर तैयार किए गए मैजिक को तोड़ने का काम किया है। सीएम धामी ने चुनाव से पहले और अभी तक अपनी ताबड़तोड़ चुनावी सभाओं से भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी को कंफर्ट जोन में लाकर खड़ा कर दिया है।
भाजपा के लिए गढ़वाल सीट हमेशा से बेहद सुरक्षित सीट रही है। इस बार भी यही माना जा रहा था। यही वजह रही जो त्रिवेंद्र रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, अनिल बलूनी सभी इसी सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे। हालांकि बाजी हाथ लगी बलूनी के। भाजपा की ये सीट इतनी मजबूत थी की पांच साल से इस सीट पर मेहनत कर रहे कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी ने भाजपा में शामिल होने में ही अपनी भलाई समझी।
बावजूद इसके एक महीने में इस सीट पर चुनावी हालात पूरी तरह बदल गए हैं। आज उत्तराखंड की पांचों सीट में यदि कहीं मुकाबला देखने को मिल रहा है, तो वो गढ़वाल सीट पर मिल रहा है। इस सीट पर एक के बाद भाजपा की ओर से कुछ कदम उठाए गए, जो नुकसानदायक साबित हुए। कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी को जब भाजपा ज्वाइन कराया गया, तो इसे अनिल बलूनी का मास्टर स्ट्रोक बताया गया। अब यही मास्टर स्ट्रोक भाजपा के गले की फांस बन गया है। इसके बावजूद भाजपा ने चोबत्ताखाल से कांग्रेस प्रत्याशी रहे केसर सिंह नेगी, पौड़ी से नवल को भी भाजपा ज्वाइन करवा कर बड़ी चूक कर दी। इसी के साथ गढ़वाली गाने मैं पहाड़ों कू रैबासी तो दिल्ली रेहन वाली, मैं धारा को पानी, तू बिसलरी वाली, गाने ने गोदियाल को जबरदस्त मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलवा दी।
इस सीट पर दिन ब दिन बदलते हालात को भांपते हुए केंद्रीय आलाकमान ने तत्काल सबसे पहले सीएम पुष्कर धामी को मोर्चे पर लगाया। थराली, करनप्रयाग, गौचर, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, पौड़ी, चोबत्तखाल, लैंसडाउन, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, रामनगर, कोटद्वार में सीएम धामी ने ताबड़तोड़ सभाओं को कर खतरे में आ चुकी गढ़वाल सीट को संकट से बाहर निकाल कम्फर्ट जोन में लाकर खड़ा कर दिया है। सीएम की सभाओं में उमड़ी भीड़ इस बात की तस्दीक करती हुई भी नजर आ रही है। भाजपा के जानकार गढ़वाल सीट में अचानक एक महीने में बदले माहौल से अचंभित नजर आ रहे हैं। इसी खतरे को भांप देहरादून से लेकर दिल्ली तक सभी ने सीएम को इस मुश्किल मोर्चे पर लगाने की पैरवी की। सीएम के मोर्चे पर उतरने के बाद ही कार्यकर्ता एक नए उत्साह के साथ जुट कर गोदियाल के इमोशनल प्रचार का जवाब दे रहे हैं।
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