देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून का इतिहास बेहद गौरवशाली है। 1932 में आईएमए का सफर शुरू हुआ था, इस भारतीय सैन्य अकादमी से देश-विदेश को कई सैन्य अधिकारी मिले हैं। 1 अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ आईएमए की स्थापना हुई थी। 1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पास आउट हुआ था। देहरादून में जिस जगह पर आज भारतीय सैन्य अकादमी है वहां 8 से 9 दशक पहले तक रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था। इस कॉलेज का 206 एकड़ का कैंपस और दूसरी सभी चीजें भारतीय सैन्य अकादमी यानी आईएमए को ट्रांसफर की गई थी। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ भी इसे एकेडमी के छात्र रह चुके हैं। इंडियन मिलिट्री एकेडमी से देश-विदेश की सेनाओं को हजारों युवा अफसर मिल चुके हैं। ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस आईएमए के प्रथम कमांडेंट बने थे। आईएमए के शुरुआती जत्थे को पायनियर बैच नाम दिया गया था। इस जत्थे में से फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे। तब किसी को ये नहीं मालूम था कि देहरादून में बना ये आईएमए देश की रक्षा में महत्वपूण योगदान देगा। 10 दिसंबर 1932 को फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्ल्यू चैटवुड ने भारतीय सैन्य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन किया था और तभी से इस बिल्डिंग का नाम उन्हीं के नाम से चैटवुड बिल्डिंग पड़ गया। 1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद पहली बार किसी भारतीय ने सैन्य अकादमी की कमान संभाली थी। ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह आईएमए के प्रथम कमांडेंट बने थे। साल 1949 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसकी एक विंग क्लेमनटाउन में खोली गयी थी, बाद में इसका नाम बदलकर नेशनल डिफेंस एकेडमी रखा गया।
शरुआती दिनों में क्लेमनटाउन में सेना के तीनों विंग को ट्रेनिंग दी जाती थी। 1954 में एनडीए पुणे में स्थानांतरित हो जाने के बाद इसका नाम मिलिट्री कॉलेज हो गया। साल 1960 में इस संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया। साल 1962 में 10 दिसंबर को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने अकादमी को नया ध्वज प्रदान किया था। वहीं, हर साल जून और दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को आईएमए में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड के दौरान अंतिम पायदान पार करते ही जेंटलमैन कैडेट सेना में अधिकारी बन जाते हैं।
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