संस्कृत को बढ़ावा पर संस्कृत महाविद्यालयों के हालात खराब

देहरादून। भाजपा सरकारों ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई फैसले लेकर आम लोगों को संदेश देने की कोशिश तो की लेकिन प्रदेश में चल रहे महाविद्यालय और विद्यालयों के सुधारीकरण को लेकर कदम उठाना भूल गए। राज्य में 90 संस्कृत महाविद्यालय और विद्यालय हैं। इसमें 46 संस्कृत महाविद्यालय, जबकि 43 उत्तर मध्यमा विद्यालयों की संख्या है। इसके साथ ही 1 पूर्व मध्यमा विद्यालय भी स्थापित किया गया है। राज्य में 6 राजकीय संस्कृत महाविद्यालय व विद्यालय भी मौजूद हैं।
संस्कृत शिक्षा विभाग की वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार राज्य में निदेशालय स्तर पर निदेशक से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक कुल करीब 50 फीसदी पद खाली है। संस्कृत शिक्षा परिषद में कुल 9 पदों में से 1 पद खाली हैं, जिला स्तर पर कुल 16 पद ढांचे में है, जिसमें से करीब 50 फीसदी पद खाली है। अशासकीय विद्यालय और महाविद्यालय में कुल 488 पदों में से वेबसाइट के अनुसार 209 पद खाली है, राजकीय महाविद्यालयों और विद्यालयों में कुल 126 पदों में से 124 पद खाली है। जाहिर है कि यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं।