घनसाली/टिहरी, गढ़ संवेदना न्यूज। टिहरी जिले में घनसाली तहसील क्षेत्र अंतर्गत द्वारी गांव में घंटाकरण देवता की जात (जात्रा) का आयोजन 19 दिसम्बर को होगा। घंटाकरण मंदिर समिति द्वारी ने जात की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। घंडियाल देवता की जात्रा में भाग लेने के लिए मुंबई, दिल्ली, देहरादून आदि स्थानों पर रहने वाले प्रवासी बड़ी संख्या में गांव पहुंच चुके हैं। लोगों में देव जात्रा को लेकर खासा उत्साह है। घंटाकर्ण देवता की जात के मौके पर 19 दिसंबर को नमस्कार देव भूमि सेवा संघ दिल्ली की ओर से भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत होती है पूरी
टिहरी। उत्तराखंड के टिहरी जिले में घनसाली तहसील क्षेत्र में भिलंगना विकासखंड अंतर्गत द्वारी गांव में स्थित प्रसिद्ध घंडियाल देवता (घंटाकर्ण देवता) मंदिर में जो भी श्रद्धालू सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है वह मन्नत अवश्य पूरी होती है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहंुचते हैं। पहले इस मंदिर तक पैदल मार्ग से पहुंचा जाता था, लेकिन अब यह मंदिर सड़क मार्ग से जुड़ चुका है।
इस मंदिर तक पिलखी-द्वारी मोटर मार्ग से पहुंचा जाता है। इसके अलावा घनसाली और मुयालगांव से भी यहां पहुंचा जा सकता है। द्वारी गांव के मोलखा नामक स्थान में जिस स्थान पर घंडियाल देवता का यह मंदिर स्थित है वह बहुत ही दर्शनीय और मनोरम स्थान है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से हिमालय की विभिन्न चोटियों के दर्शन होते हैं। ये हिमालय की चोटियां ऐसी प्रतीत होती हैं कि यहां से नजदीक ही हों। यहां से नैलचामी पट्टी के कई गांवों का विहंगम दृश्य दिखता है। यहां हर तीसरे वर्ष घंडियाल देवता की जात (जात्रा) का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होने के लिए और घंडियाल देवता से मन्नत मांगने के लिए काफी क्षेत्रों से लोग यहां पहुंचते हैं। घंडियाल देवता की जात में मुंबई, दिल्ली, देहरादून, टिहरी आदि क्षेत्रों में रहने वाले गांव के प्रवासी भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
घंटाकर्ण देवता के मंदिर के पास ही नागरजा देवता का मंदिर भी स्थित है। जो भी घंटाकर्ण देवता के दर्शन के लिए यहां आते हैं वेे अवश्य ही नागरजा देवता के भी दर्शन करते हैं। बेहद दर्शनीय व मनोरम स्थल मोलखा अभी राज्य के पर्यटन मानचित्र में स्थान नहीं पा सका है। सरकार को इस स्थल को विकसित करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए, ताकि यह विकसित हो सकें। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में द्वारी गांव भी पलायन से अछूता नहीं है, यहां से लोग काफी संख्या में पलायन कर चुके हैं, लेकिन घंटाकर्ण देवता के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा और आस्था उन्हें गांव की ओर खींच लाती है। यहां से पलायन कर चुके लोग वर्ष में एक या दो बार अपने ग्राम व ईष्ट देवता के दर्शन के लिए अवश्य गांव पहुंचते हैं। घंटाकर्ण देवता मंदिर के आस-पास कई गुमनाम बुग्याल (मखमली घास के मैदान) स्थित हैैं, लेकिन बाहर से आने वाले लोगों को इनके बारे में जानकारी न होने के कारण वे इस खूबसूरत बुग्यालों के दर्शन नहीं कर पाते। आछरी खंणदा बुग्याल लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां से डागर पट्टी को जाने वाले पैदल मार्ग पर चाकी सैंण, टोपल्या सैंण और मुयालगांव जाने वाले मार्ग पर कांडा पाणी जैसे सुंदर स्थल स्थित हैं। ये स्थान बेहद रमणीक हैं।
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