देहरादून। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मंगलवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज में किया गया, जिसका उद्देश्य बच्चों को कृमि संक्रमण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाना है। स्वाति एस भदौरिया, मिशन निदेशक एन.एच.एम. द्वारा बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों और किशोरों के पोषण स्तर, संज्ञानात्मक विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। कृमि संक्रमण बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिससे उनके समग्र विकास में बाधा आती है। कृमि के नियंत्रण हेतु एल्बेंडाजॉल दवा को एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय माना जाता है।
मिशन निदेशक ने जानकारी दी कि इस अभियान के अंतर्गत राज्य के समस्त निजी स्कूलों, तकनीकी/महाविद्यालयों, कोचिंग सेंटरों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों, आंगनवाड़ी केंद्रों तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) के अंतर्गत मलिन एवं अगम्य बस्तियों में रह रहे बच्चों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि हर बच्चे को कृमि मुक्ति का लाभ मिल सके। स्कूल न जाने वाले बच्चों को आशा कार्यकर्ता माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्र में जाकर दवा लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों में बच्चों की पूर्ण उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक यह सुविधा पहुंचे।
झरना कमठान, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा कार्यक्रम में बताया कि भारत सरकार द्वारा शुरू की गई यह पहल ष्राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रमष् बच्चों और किशोरों को कृमि संक्रमण से मुक्त करने हेतु एक प्रभावी और समग्र रणनीति है। उन्होने बताया कि समाज और देश के निर्माण में स्वस्थ बचपन की भूमिका सर्वाेपरि है। वे बच्चे जो किसी भी स्कूल या आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें शहरी विकास विभाग, आई.सी.डी.एस एवं आशा कार्यकर्ताओं की सहायता से चिन्हित कर आउटरीच कैंप के माध्यम से दवा दी जाएगी। यह पहल देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, उधमसिंह नगर एवं पौड़ी जिलों में विशेष रूप से लागू की जाएगी। इस अभियान के तहत 8 अप्रैल 2025 को कृमि मुक्ति दिवस और 16 अप्रैल 2025 को मॉप-अप दिवस आयोजित किया जायेगा। मॉप-अप दिवस उन बच्चों के लिए निर्धारित है जो किसी कारण कृमि मुक्ति दिवस पर दवा नहीं ले सके। राज्य के सभी 13 जिलों में 1 से 19 वर्ष की आयु के 36 लाख से अधिक लक्षित बच्चों और किशोरों को कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजॉल 400 मिलीग्राम दी जाएगी।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का एनीमिया मुक्ति भारत अभियान में महत्वपूर्ण योगदान है। यह राष्ट्रीय पोषण नीति के अंतर्गत शामिल किया गया है और स्वच्छ भारत अभियान के साथ समन्वय में कार्य करता है, जिससे स्वच्छता और साफ-सफाई को बढ़ावा देकर कृमि संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके। इस अभियान की तैयारियों के तहत, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूल एवं शिक्षण संस्थानों के नोडल शिक्षकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। एल्बेंडाजॉल के सेवन से प्रतिकूल प्रभाव बहुत ही कम होते हैं, जो मुख्यतः गंभीर कृमि संक्रमण वाले बच्चों में देखे जाते हैं। किसी भी प्रकार की प्रतिकूल घटना से निपटने के लिए जिला/ब्लॉक स्तर पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (त्ठैज्ञ) की मोबाइल टीमें और 104 व 108 हेल्पलाइन को सक्रिय रखा गया है। सभी सेवा प्रदाताओं के पास ए.एन.एम, निकटतम सरकारी चिकित्सालय और 104 मेडिकल हेल्पलाइन नंबर की सुविधा उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रतिकूल घटनाओं की रोकथाम के लिए व्यापक दिशानिर्देश और नीतियां लागू की हैं, जिनका सख्ती से पालन किया जा रहा है। कार्यक्रम में डा. मनोज उप्रेती, निदेशक स्वास्थ्य महानिदेशालय, डॉ मनु जैन निदेशक एनएचएम, डॉ मनोज शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून, डा० पल्लवी, उपनिदेशक विद्यालयी शिक्षा, डॉ अर्चना ओझा, डॉ अजय नगरकर, सहायक निदेशक, एन.एच.एम, प्रेम लता बौडाई, प्रधानाचार्य राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज, राजपुर, पंकज सिंह, सलाहकार आर. के.एस.के., डॉ ऑचल आदि अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।