देहरादून। उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 15 दिनों से फंसे श्रमिकों को रेस्क्यू में अड़चनों के कारण लंबा इंतजार पड़ रहा है। परिस्थितियां सुरंग में फंसे श्रमिकों, उनके परिजनों और बचाव कार्य में लगी एजेंसियों के धैर्य की कड़ी परीक्षा ले रही हैं। राहत व बचाव कार्य शुरू हुआ तो कई अड़चने आने लगीं। कभी पाइप आगे नहीं बढ़ा, तो कभी लोहे के टुकड़ों ने राह रोकी। जब बचाव का समय निकट आया तो उम्मीद से अधिक समय लगने लगा। पूरा देश जब 12 नवंबर को दीपावली मना रहा था, तो सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के कारण नजारा अलग ही था। स्थानीय ग्रामीणों ने इस घटना के कारण दीपावली के पूर्व में पूजा तो की लेकिन पटाखों से दूरी बनाए रखी। वहीं, सुरंग में फंसे श्रमिकों के स्वजन तक जैसे ही इसकी सूचना पहुंची, तो वे भी अपनों की सलामती को लेकर फिक्रमंद हो उठे। धीरे-धीरे स्वजन घटना स्थल पर पहुंचने लगे। साथ ही सरकार व बचाव एजेंसियां भी राहत व बचाव कार्य के लिए सक्रिय हुई। एनडीआरएफ की टीम मौके पर बुलाई गई और विशेषज्ञ एजेंसियों से संपर्क साधा गया। इसके साथ ही शुरू हुआ सुरंग में पाइप डालने का काम। इस बीच सुरंग में पहले से ही बिछी दो इंच की पाइपलाइन के जरिये श्रमिकों को आक्सीजन के साथ ही सूखे मेवे, चने, मुरमरों व दवाओं की आपूर्ति की गई। यह पाइप बातचीत का भी माध्यम बना। इससे बात कर ही सबसे पहले पता चला की भीतर 40 नहीं 41 श्रमिक हैं और सभी सुरक्षित हैं। सुरंग के भीतर से ही निकासी सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया गया तो उम्मीदों की किरण दिखने लगी। लेकिन एक बार फिर प्रकृति ने सभी के धैर्य की परीक्षा ली और 22 मीटर तक जाने के बाद इसमें 900 एमएम के पाइप डालने का कार्य रुक गया। ऐसे में सुरंग में फंसे श्रमिक व उनके स्वजन बेचैन हो उठे। बचाव कार्य जारी रहा। गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए देश-विदेश से विशेषज्ञ बुलाए गए। फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए छह कार्ययोजना बनाई गई। इस बीच मुख्य सुरंग से लाइफलाइन पाइप अंदर पहुंचाया गया। इससे पका खाना और दवाएं श्रमिकों तक भेजी गईं। इससे उम्मीदें बढ़ी और हौसला मजबूत हुआ। आखिरी चरण में भी सुरंग के भीतर का कार्य प्रभावित हुआ लेकिन इससे किसी के हौंसले डगमगाए नहीं।
यमुनोत्री हाईवे के निकट स्थित छोटा सा गांव सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद सुर्खियां में आ गया। हादसे के बाद गुमनाम सा यह गांव देश-विदेश की सुर्खियां में रहा। हैशटैग उत्तरकाशी रेस्क्यू से इस हादसे को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर चार हजार से ज्यादा पोस्ट की जा चुकी हैं, जबकि गूगल पर उत्तराखंड टनल लेटेस्ट न्यूज कीवर्ड से इस हादसे से जुड़ी खबरों को 20 हजार से अधिक बार सर्च किया गया है। पिछले 13 दिनों से सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने लिए केंद्र व राज्य की करीब 19 एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। देशभर से कई बड़ी मशीनें यहां ड्रिलिंग और बोरिंग के लिए पहुंचाई गईं। देश के कई बड़े वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञ भी सिलक्यारा पहुंचे हैं।
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