देहरादून। संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ के संरक्षक डॉ संतोष मुनि शास्त्री ने कहा कि प्रधानमंत्री संस्कृत शिक्षा की महिमा का बखान कर रहे हैं, संस्कृत शिक्षा को भारत की आत्मा बता रहे हैं। संस्कृत शिक्षा को ज्ञान का मेल स्रोत बता रहे हैं और संस्कृत शिक्षा को ही उन्नति और प्रगति का मुख्य केंद्र बिंदु बता रहे हैं, वहीं उत्तराखंड राज्य में संस्कृत की दुर्दशा हो रही है। सन् 1960 से लेकर सन 2023 तक संस्कृत महाविद्यालयों का संचालन उत्तराखंड राज्य में हो रहा है परंतु उत्तराखंड के संस्कृत महाविद्यालयों को सामान्य शिक्षा के बराबर उच्च शिक्षा के डिग्री कॉलेज के समान पद एवं वेतन का सम्मान प्रदान नहीं किया जा रहा है, यह हमारे राज्य के लिए बहुत ही बड़े दुर्भाग्य की बात है। उनका कहना है कि उत्तराखंड के संस्कृत महाविद्यालयों को भी डिग्री कॉलेज के समान ही उच्च शिक्षा के पद एवं वेतन दिया जाए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भारत के अध्यात्म का केंद्र बिंदु है, यहां अनेक देश-विदेशों से लोग योग, संस्कृत शिक्षा का अध्ययन करने आते हैं वहीं इसी राज्य में संस्कृत शिक्षा को सामान्य शिक्षा के बराबर भी सम्मान नहीं मिल रहा है। इससे बड़ा दुर्भाग्य उत्तराखंड राज्य का और क्या हो सकता है। जिस पर वर्तमान सरकार को शीघ्र संज्ञान लेकर त्वरित ही इसका समाधान करना चाहिए। हम आपको निवेदन करना चाहते हैं कि उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वारणसी के अन्तर्गत संचालितध् स्थापित नियमों के अधीन तथा राज्य गठन के उपरान्त उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय परिनियमावली 2007,2009 एवं 2011 में अंकित भाग- 3 का नियम-7.4 में निर्धारित उच्चशिक्षा की अर्हता के आधार पर विधिवत विभागीय अनुज्ञा अनुमोदन के आधार वर्गीकृत संस्कृत महाविद्यालयों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्तिध्सीधी भर्ती की गयी है तथा नियुक्ति तिथि से उच्च शिक्षा शास्त्री आचार्य की कक्षाओं का अध्यापन कार्य किया जा रहा है, तथा समय-2 पर उच्च शिक्षा स्तर के सभी प्रकार के कार्य सम्पादित किये जा रहे हैं किन्तु वर्तमान में उक्त शिक्षकों को महाविद्यालय के अनुरूप पदनामध्वेतनमान न देते हुये उत्तर प्रदेश के समय से उत्तरमध्यमा समक्षध्स्तर का वेतन दिया जा रहा है। जबकि इन संस्कृत महाविद्यालयों में कार्यरत स्थायी शिक्षकों को उच्च शिक्षा के वेतनमान देने हेतु निदेशक,संस्कृत शिक्षा के प्रस्ताव संख्या-11-ध्राज 2021-22 दिनांक-05 अप्रेल 2021 तथा कुल सचिव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार की आख्या-04ध्प्रशासनध्2021 दिनांक-13 मई 2021 शासन को भेजा गया तथा शासन स्तर पर उच्च स्तरीय कमेटी बनी कमेटी ने भी सभी विभागों से परामर्श कर माना कि सम्बंधित शिक्षकों उच्चशिक्षा का वेतन एवं सेवा लाभ दिया जाना चाहिए तत्पश्चात विभागीय मंत्री अरविंद पांडे, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल एवं मुख्यमंत्री के अनुमोदन के पश्चात दिनांक-13 मई 2022 में वित्त विभाग ने आलेख्य वेट कर आलेख्य पर सहमति दी, परंतु वर्तमान सचिव के द्वारा उस पारित प्रस्ताव के अनुसार उच्च शिक्षा का वेतन पद का आदेश को निर्गत नहीं किया जा रहा है। उत्तराखंड के संस्कृत महाविद्यालयों को भी डिग्री कॉलेज के समान ही उच्च शिक्षा के पद एवं वेतन दिया जाए, इसका शासनादेश निर्गत होना चाहिए।
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