देहरादून। अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तराखंड प्रभारी विशाल बिरला ने कहा कि सफाई कर्मचारियों को लगातार गुमराह किया जा रहा है, उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। वर्ष 2021 में उत्तराखण्ड के मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉ ललित मोहन रयाल कमेटी गठित कर उसकी सिफारिशों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया था। विधानसभा में भी प्रश्न उठाये जाने के बावजूद 26 माह से सफाई कर्मियों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि रयाल कमेटी की सिफारिश लागू कर कर्मियों को ठेकेदारी, संविदा व दैनिक मजदूर जैसी शोषणकारी व्यवस्था से निजात दिलाते हुए उनका नियमतिकरण किया जाए।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश प्रभारी विशाल बिरला ने कहा कि दस हजार की जनसंख्या पर पचास सफाई कर्मियों को रखा जाना है, सफाई कर्मियों की पदोन्नति की जानी है, मृतक आश्रितों को नियमों में शिथलीकरण कर नियुक्ति प्रदान की जानी है। पुरानी पेंशन लागू करने समेत अनेकों आवश्यक बिन्दुओं की सिफारिश को लटका कर रखा गया है। जिससे कर्मियों में अत्यधिक रोष है व कर्मचारी आन्दोलन के लिये बाध्य हैं। विवश होकर हम उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू एस्मा को काला कानून मानते हुए सामूहिक गिरफ्तारी देने हेतु 15 जनवरी को उत्तराखण्ड सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय कूच कर रहे हैं। जिसकी सूचना हमारे द्वारा पूर्व में ही दे दी गयी थी।
प्रदेश अध्यक्ष चैधरी सुनील रजौर ने अवगत कराया की सरकार ने 29 जनवरी को निदेशालय में आयोजित बैठक में 12 जनवरी तक आन्दोलन टालने का आग्रह किया था व ललित मोहन रयाल कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का वायदा किया था। सरकार अपने घोषणा पत्र में सफाई कर्मियों को न्याय देने की बात करती है व कमेटी बनाकर हमारे साथ हो रहे उत्पीडन को दो वर्ष से अधिक जारी रखती है जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा कर्मचारी अब आर पार की लड़ाई हेतु तैयार है। जिला अध्यक्ष देहरादून अरविन्द घान्वरी ने भी पार्षद स्वच्छता समिति, ड्राईवरो व हेल्परांे के साथ हो रहे शोषण का विरोध करते हुए सभी को स्थायी नियुक्ति की बात रखी। संगठन ने निर्णय लिया है की 15 जनवरी तक प्रतिदिन मशाल जुलूस, पोस्ट कार्ड केम्पेन व अन्य संगठनों के सहयोग से आन्दोलन को बढाया जायेगा यदि 15 जनवरी को भी मुख्यमंत्री जी ने सुसंगत घोषणा नहीं की तो समस्त कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल व उग्र आन्दोलन को विवश होंगे।
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