गुणात्मक संस्कार मनुष्यत्व की सही धारणा को विकसित करते हैंः प्रो. सतीश कपूर

देहरादून। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी हरिद्वार द्वारा भाषा के उन्नयन एवं प्रचार-प्रसार हेतु अंतर्जालीय जनपद स्तरीय व्याख्यानमाला के क्रम में देहरादून जनपद में आठ आत्मगुणात्मक संस्कार विषय पर अन्तर्जालीय संस्कृत व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण नीरज बिजल्वाण एवं सौरभ तिवाड़ी  तथा लौकिक मंगलाचरण विशाल भट्ट जी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रो. सतीश कुमार कपूर संस्कृत विभागाध्यक्ष केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय रणवीर परिसर जम्मू ने कहा कि संस्कारों के द्वारा ही सामाजिक संचेतना लाने का प्रयास किया जाना होगा। जो आज के समय में अत्यन्त प्रासंगिक है।
मुख्य वक्ता श्रीस्वामी राघवेन्द्र दास स्वर्गाश्रम ट्रस्ट पौड़ी गढ़वाल ने कहा कि संस्कार ही हमारे मन को पवित्र कर सकते हैं।आठ गुणात्मक संस्कार मनुष्यत्व की सही धारणा को विकसित कर हमारी संस्कृति को आगे बढाने का कार्य करते हैं। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रपति सम्मान से पुरस्कृत डॉ. ओम प्रकाश भट्ट पूर्व प्राचार्य रामानुज संस्कृत महाविद्यालय ने कहा कि संस्कार हमारे दोषों का मार्जन करके हमे गुणों से विभूषित करते हैं। तथा मन मस्तिष्क पवित्र और समाजोपयोगी विचारों को उत्पन्न करते हैं।
कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में प्रो. प्रेम चन्द्र शास्त्री, संहिता सिद्धांत विभाग उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने कहा कि हमें अपने गुणों को परिमार्जित करना होगा। जब हम अपने को संस्कारित व परिष्कृत करेंगे तो समाज भी संस्कारित एवं परिष्कृत होगा। तथा क्षमा करने का गुण पृथ्वी से ग्रहण करना होगा। जिसके हृदय में अन्य जीवों के प्रति दयाभाव नहीं वह मानवीय गुणों से परिपूर्ण नहीं। उपस्थित विद्वानों का स्वागत डॉ. आनन्द जोशी संस्कृत विभाग हिमालयीय विश्वविद्यालय डोईवाला ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहसंयोजक आचार्य नवीन भट्ट श्रीगुरु राम राय लक्ष्मण संस्कृत महाविद्यालय द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन जनपद संयोजक डॉ० प्रदीप सेमवाल संस्कृत विभाग उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने किया।
इस अवसर पर संस्कृत महाविद्यालय देहरादून के प्राचार्य डॉ. रामभूषण बिजल्वाण, डॉ. शैलेन्द्र प्रसाद डंगवाल, डॉ. विंदुमती द्विवेदी, डॉ. महेश चन्द्र मासीवाल, डॉ.सुमन प्रसाद भट्ट, डॉ. सुशील चमोली, डॉ. प्रकाश चंद्र उप्रेती, आदि उपस्थित रहे।

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