ग्रुप हैल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद अपने लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा लेना क्यों महत्वपूर्ण है, आईए जानते हैं राघवेंद्र राव के इस लेख मेंइसमें कोई दोराय नहीं कि बीते दशक में चिकित्सा सेवाओं की लागत तेजी से बढ़ी है। कुछ दिनों की बीमारी, कोई छोटी सर्जरी या एक-दो दिन भी अस्पताल में भर्ती रहना पड़ जाए तो वित्तीय योजना पर अमल जारी रखने में मुश्किल हो जाती है। बढ़ती उम्र के साथ सेहत की परेशानियां बढ़ती ही हैं, इससे बचा नहीं जा सकता। इन तथ्यों की रोशनी में यह जाहिर होता है कि स्वास्थ्य बीमा के मामले में किंतु-परंतु नहीं किया जा सकता, स्वास्थ्य बीमा अत्यावश्यक है। आज बहुत सी कंपनियां कर्मचारी लाभ के अंतर्गत बीमा सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिसमें विकल्प होता है कि आप अपने परिवार के सदस्यों का भी नामांकन करा सकते हैं, जो आप पर निर्भर हों। हालांकि यह एक सकारात्मक कॉर्पोरेट सुविधा है, लेकिन इसकी भी सीमाएं हैं। इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा लेकर इस अवरोध से उबरा जा सकता है और सेहत संबंधियों के चुनौतियों के सामने आने पर आप अपने और अपने परिवार को उससे उबार सकते हैं। भले ही आपकी कंपनी आपको ग्रुप हैल्थ कवर मुहैया करा रही है किंतु फिर भी आपको व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा लेने के बारे में क्यों विचार करना चाहिए इस हेतु यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं।
कस्टमाइज़ेशन
व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा आपकी खास जरूरतों के मुताबिक तैयार किए जा सकते हैं। आप अतिरिक्त बीमारियों से सुरक्षा हेतु एड-ऑन कवर ले सकते हैं, कवरेज के विकल्प चुन सकते हैं, डिडक्टिबल व कवरेज लिमिट चुन सकते हैं जो आपकी निजी स्वास्थ्य जरूरतों के उपयुक्त हों। जबकि ग्रुप प्लान में ’सबके लिए एक ही साइज़’ वाली नीति रहती है और उसमें आपको उतनी फ्लेक्सिबिलिटी नहीं मिल सकती।
कवरेज में कमी का हल
ग्रुप हैल्थ इंश्योरेंस प्लान में अक्सर कवरेज की सीमाएं रहती हैं, जैसे पहले से मौजूद कुछ स्वास्थ्य स्थितियां उससे बाहर रहती है या हो सकता है कि कुछ विशेष उपचार या दवाओं के लिए उसमें प्रावधान न हो। सामूहिक बीमा के बारे में इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए कि कंपनी बीमा के लिए प्रीमियम देती है तो अगर कभी कंपनी को वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ जाए, वह बीमा कवरेज में बदलाव कर दे सा आपकी कंपनी बीमा प्रदाता को बदल दे तो हो सकता है कि आपकी कवरेज घट जाए। अगर आपने अपने और अपने परिवार के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ले रखी होगी तो न केवल आपकी कवरेज पूरी रहेगी बल्कि आप खुद ही यह सुनिश्चित भी करेंगे स्वास्थ्य बीमा प्रदाता के साथ आपका संबंध बदस्तूर जारी रहे।
दोहरी सुरक्षा
संभवतः अतिरिक्त व्यक्तिगत हैल्थ कवर लेने के पक्ष में सबसे बड़ तर्क यह दिया जा सकता है कि अधिकतर ग्रुप हैल्थ प्लान अपने कर्मचारियों व उनके परिवार को जो कवरेज देते हैं उसकी एक तय सीमा होती है और वो भी सिर्फ 2 या 3 लाख रुपए, बस। इसका मतलब यह है कि अगर आपका चिकित्सा व्यय उस पॉलिसी की सीमा के परे चला जाए तो संभावित ऊंचे मेडिकल बिल से आपको सुरक्षा नहीं मिल सकेगी। जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है उसी तरह इलाज भी महंगा होता चला जा रहा है और जीवनशैली जनित रोगों में भी इजाफा हो रहा है, यह आज के वक्त की वास्तविकता जिससे या तो हम दोचार हो चुके होंगे या कभी न कभी सामना करना पड़ सकता है। अतिरिक्त व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुनने से आप वित्तीय संकट की चिंता किए बगैर उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं ले सकेंगे।
पोर्टेबिलिटी
आपका व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा आपसे जुड़ा है, वह आपकी कंपनी से नहीं जुड़ा। आप भले ही नौकरी बदल लें या नौकरी छोड़ कर स्वरोजगार कर लें, आपकी कवरेज बदस्तूर जारी रहेगी। व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा होने से आपको यह चिंता नहीं रहेगी की एक नौकरी से दूसरी नौकरी में जाते वक्त अगर बीमारी या आपात स्थिति आ गई तो आपकी सुरक्षा का क्या होगा। इसके अलावा व्यक्तिगत बीमा होने से यह फायदा भी है कि अगर बीते वर्षों में ईश्वर की कृपा से आपको कभी क्लेम लेने की जरूरत ही नहीं पड़ी तो आगे आपको उसका लाभ मिलता है जैसे नो क्लेम बोनस या क्युमुलेटिव बोनस।
टैक्स में लाभ
यदि आप व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा लेते हैं तो इन्कम टैक्स रिटर्न भरते वक्त आप प्रीमियम की राशि पर छूट का दावा पेश कर सकते हैं, यह एक और फायदा है। यानी एक तरफ तो आप अपना स्वास्थ्य बीमा करवा कर अपने व अपने परिवार को चिकित्सीय आपात स्थिति से सुरक्षित कर रहे हैं तो दूसरी तरफ टैक्स में छूट मिलने से आपकी बचत भी होती है।
तो इस प्रकार, कंपनी की ओर से मिलने वाले सामूहिक स्वास्थ्य बीमा के अलावा अपना व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा कराना एक समझदारी भरा फैसला है। अपनी जरूरतों पर विचार कीजिए और देखिए की आपके पास क्या विकल्प हैं और उसके बाद ही निर्णय लीजिए। आपका निर्णय आपकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों, आर्थिक स्थिति और दीर्घ कालीन लक्ष्यों के मुताबिक होना चाहिए।
(श्री राघवेंद्र राव फ्यूचर जेनेराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मुख्य वितरण अधिकारी हैं.)