कैंसर का ऑपरेशन कराने के बाद किसी चमत्कार से कम नहीं प्लास्टिक सर्जरीः विशेषज्ञ

-देहरादून में दिल्ली अपोलो अस्पताल के विशेषज्ञों ने अत्याधुनिक चिकित्सा को किया साझा
-कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी को लेकर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

देहरादून। देश के आखिरी छोर तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की पहल के तहत इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्टिल्स के विशेषज्ञों ने देहरादून में अत्याधुनिक चिकित्सा की जानकारियां साझा कीं। इस दौरान विशेषज्ञों ने कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी की उन क्षमताओं के बारे में बताया जिनके जरिए ऑपरेशन करा चुके कैंसर रोगियों को पहले की तरह काफी हद तक वापस लाया जा सकता है जो एक मरीज के लिए यह किसी चमत्कार से कम भी नहीं है। देहरादून में इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर और स्थानीय लोग मौजूद रहे। इस दौरान कार्यक्रम का नेतृत्व नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. कुलदीप सिंह ने किया। यह कार्यक्रम कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी के उपचार को बढ़ावा देने के लिए संकेतों और लक्षणों, उपचार के तौर-तरीकों और नैदानिक परीक्षणों पर केंद्रित था।
नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. कुलदीप सिंह ने कहा, पिछले कुछ साल से दिल्ली अपोलो अस्पताल में वह कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी के चुनौतीपूर्ण मामले देख रहे हैं जिन्हें उन्नत इलाज और देखभाल से ठीक किया गया। डॉ. कुलदीप सिंह ने यह भी कहा कि जब हम कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जरी पर चर्चा करते हैं तो जानते हैं कि लोग अक्सर न केवल भयभीत होने लगते हैं, बल्कि इसके उपचार को लेकर भ्रांतियों पर भरोसा भी करते हैं। एक डॉक्टर होने के नाते वह स्वयं सालों से चिकित्सा के क्षेत्र में आ रहे बदलावों और उनके प्रभावों को देख रहे हैं जिसके आधार पर यह कह सकते हैं कि इस चिकित्सा के जरिए मरीज को न सिर्फ बीमारी से पहले जैसा जीवन देने की कोशिश की जाती है बल्कि उसे मानसिक तौर पर सुकून भी देने का प्रयास रहता है। अगर लोग भ्रांतियों पर यकीन करेंगे तो इसका सीधा नुकसान मरीज के जीवन पर होगा। इलाज में देरी और अन्य कारणों के चलते मरीज के जीवन की गुणवत्ता से समझौता कर सकते हैं। इसलिए न सिर्फ आम नागरिक बल्कि चिकित्सक वर्ग में भी जागरुकता लाना जरूरी है क्योंकि जब हम आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का प्रयास करते हैं तो वहां स्थानीय डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारियों की भूमिका भी अहम हो जाती है। उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा के क्षेत्र में मरीजों की देखभाल के लिए नई तकनीकें सामने आ रही हैं। इसके अतिरिक्त, समुदाय को इस बीमारी के लिए उपलब्ध निवारक उपायों के बारे में सूचित किया जाना भी अहम है।

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