-भारतीय संस्कृति विवाद नहीं बल्कि संवाद की संस्कृतिः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पश्चिम बंगाल हिंसा प्रभावितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा से प्रभावित लोगों को अनावश्यक रूप से आक्रोश का सामना करना पड़ा जो की असहिष्णुता की हद है। जब मानवता, दानवता का चोला पहन लेती है तब इस तरह की हिंसा का सामना समाज को करना पड़ता है। वैचारिक भिन्नता और मतभेदों पर असहिष्णु होकर हत्या जैसे कृत्यों को अंजाम देना जघन्य अपराध है और यह समाज को अस्वीकार्य है, इसलिये कोई भी विरोध असहिष्णुता के स्तर तक नहीं पहुँचना चाहिये। पश्चिम बंगाल हिंसा के कारण जो इस धरा को छोड़कर देवलोक पधार गये हैं, उनकी आत्मा की शान्ति के लिये परमार्थ निकेतन में विशेष यज्ञ किया गया तथा संतप्त पीड़ित परिवारों को यह दुःख सहने की शक्ति, धैर्य और संबल प्रदान हो ऐसी प्रार्थना की। जो लोग अराजकता और हिंसा का तांडव कर रहे हैं उन्हें सद्बुद्धि और ज्ञान प्राप्त हो इस हेतु दीप प्रज्जवलित कर प्रभु से प्रार्थना की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति विवाद नहीं बल्कि संवाद की संस्कृति है। भारतीय लोकतंत्र में हर आवाज को सुनना जरूरी है न कि आवाज को ही मिटा दिया जाये। वैचारिक मतभेदों पर एक-दूसरे के प्रति इस प्रकार की असहिष्णुता दिखाना भारतीय संस्कृति नहीं सिखाती। समाज में राजनीति तो हो परन्तु राष्ट्रनीति और सहिष्णुता के मापदंड़ों पर हो। भारतीय समाज की विविधता को स्वीकार करते हुये समाज में सहिष्णुता जिंदा रखना बहुत जरूरी है।
स्वामी जी ने सभी देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि सहिष्णु समाज के निर्माण हेतु सभी को आगे आना होगा। ‘‘किसी के काम जो आये उसे इन्सान कहते हैं, पराया दर्द पहचाने उसे इन्सान कहते हंै।’’ संत नरसी मेहता जी का बड़ा ही प्यारा भजन है, जो सहज मानवीयता को दर्शाता है, ‘‘वैष्णव जन तो तैणे कहिए जे पीड पराई जाणे रे’’ यही समय है जब हम सभी एक दूसरे का साथ देते हुये आगे आकर समाज की विविधताओं को स्वीकार करते हुये सहिष्णु समाज के निर्माण में योगदान देना होगा।
विश्व हिन्दू परिषद् और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ये दोनों सेवाभावी संस्थायें एवं अन्य कुछ संस्थायें मिलकर बंगाल में शान्ति बनाये रखने एवं सहायता हेतु कार्य कर रही हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को जब यह सूचना मिली तो परमार्थ निकेतन आश्रम भी मदद के लिये आगे आया और हिंसा पीड़ित परिवारों की सहायता के लिये 5 लाख 51 हजार रूपये का चैक, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों के माध्यम से स्वामी जी ने भेंट करवाया ताकि पीड़ित मानवता की सेवा और सहायता हेतु उनके भाव बनें रहें एवं उनके हृदय में राष्ट्रभक्ति और देने का भाव हमेशा जागृत रहें। स्वामी जी ने कहा कि विविधता हमारे समाज की समस्या नहीं है बल्कि यह हमारे समाज की समृद्धि का प्रतीक है। इस समय आपसी द्वेष और द्वेषपूर्ण राजनीति से उपर उठकर सद्भाव एवं समरसता के साथ समाज में बिखराव नहीं बल्कि ठहराव, अलगाव नहीं बल्कि लगाव युक्त वातावरण की नितांत आवश्यक है। इस समय पश्चिम बंगाल में सभी को लोकतंत्र और संविधान का सम्मान करते हुये राजनीतिक परिपक्वता का परिचय देना होगा तथा राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता को अक्षुण्ण रखने हेतु असहिष्णुता पर पूर्ण रूप से नियंत्रण करना होगा।