– ISD विधि द्वारा न्यूरो सर्जरी करने में उत्तर भारत में देहरादून का वेलमेड हॉस्पिटल बना तीसरा सेंटर
देहरादून, गढ़ संवेदना न्यूज। टर्नर रोड़ स्थित वेलमेड हॉस्पिटल के न्यूरो विभाग (नाडी एवं मस्तिष्क रोग विभाग) में आधुनिक विधि Intra saccular contour device (इंट्रा सैक्युलर कंटूर डिवाइस) से सफल इंटरवेंशन सर्जरी की गई। उत्तराखंड में इस तरह की पहली न्यूरोसर्जरी हुई है और पूरे उत्तर भारत में देहरादून का वेलमेड हॉस्पिटल तीसरा सेंटर है, जहां ISD विधि द्वारा न्यूरो सर्जरी हुई है । इससे पहले कुछ केस दिल्ली एनसीआर में हुए और एक केस चंडीगढ़ में हुआ है। इस तकनीक में उसी तरह काम किया जाता है, जैसे हार्ट में स्टंटिग के दौरान किया जाता है। इसमें बिना कट लगाए कैथटर की मदद से इंट्रा सैक्युलर कंटूर डिवाइस लगाकर डैमेज नस को ठीक किया जाता है।
न्यूरो सर्जन डॉ. नरेश पंवार ने बताया कि देहरादून निवासी 55 वर्षीय महिला सिरदर्द और उल्टियों की लेकर इमरजेंसी में आई थी। हमारे द्वारा बेसिक जांच कराने पर पता चला कि उनके दिमाग की नस फट गई है, जिसे मेडिकल में एनरिज्म कहा जाता है । (इसका एकमात्र उपाय सर्जरी ही होती है, यदि समय रहते सर्जरी ना हो तो मरीज की जान को खतरा रहता है या विकलांगता हो सकती है) अभी तक एनरिज्म के इलाज के लिए क्लिपिंग और कोइलिंग की जाती थी, जिसके अपने – अपने रिस्क फैक्टर भी होते हैं। इसलिए हमने पिछले साल लॉन्च हुई इंट्रा सैक्युलर कंटूर डिवाइस के बारे में मरीज को बताया और उनकी काउंसलिंग की।
उन्होंने बताया कि इंट्रा सैक्युलर कंटूर डिवाइस (ISD) एक छतरीनुमा डिवाइस है, जिसे कैथटर की मदद से नस के अंदर ले जाया जाता है। जहां पर नस डैमेज होती है, वहा पर ले जाने के बाद यह डिवाइस खुल जाता है और नस फटने से होने वाले रक्तस्राव को रोकता है, साथ ही मुख्य नस को खुला रखता है ताकि ऑक्सीजन युक्त खून दिमाग में सही ढ़ग से चलता रहा. यह डिवाइस उम्रभर मरीज के दिमाग में ही रहेगा। अभी तक की स्टड़ी में इसके बहुत अच्छे रिजल्ट मिले है। यूरोप में पिछले कई सालों से इसी विधि से एनरिज्म का इलाज किया जा रहा है लेकिन भारत में यह एक साल पहले ही शुरू हुआ और उत्तरांखड में इस विधि द्वारा पहली बार सर्जरी की गई है।
शुक्रवार को हुई प्रेस कांफ्रेस में वेलमेड हॉस्पिटल के सीएमडी डॉ. चेतन शर्मा ने बताया कि वेलमेड हॉस्पिटल उत्तराखंड के लोगों को विश्वस्तरीय चिकित्सीय सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने पहले भी हार्ट, न्यूरो, गायनी की कई दुर्लभ सर्जरी की है और भविष्य में भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग सोचते हैं कि बड़ी सर्जरी तो दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में ही हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं है अगर मरीज भरोसा करें तो देहरादून जैसे शहरों में भी बड़ी से बड़ी सर्जरी हो सकती है। जैसे कि इस केस में मरीज ने वेलमेड हॉस्पिटल पर और हमारे डॉक्टर्स पर भरोसा कर यहीं सर्जरी करने का विकल्प चुना, इनके इस भरोसे के कारण हम इस सर्जरी को सफलतापूर्वक कर पाएं। वेलमेड हैल्थकेयर सोसायटी के सदस्य महेश पांडेय जी और राजेश परमार जी ने भी इस उपलब्धि के लिए डॉक्टर्स को सम्मानित किया। इस मौके पर वेलमेड हॉस्पिटल के चैयरमैन डॉ. चेतन शर्मा, डॉ. ईशान शर्मा, डॉ. नरेश पंवार, डॉ. शेखर बाबू, डॉ. नूपूर, कैथलैब टीम से नवीन, हरीश, ओ.टी. नर्सिंग स्टॉफ ईशान, अन्जुम एवं सम्राट देब, विशाल सेठी, सुनील कुकरेती, महेश पांडेय, राजेश परमार और पुष्पा रावत आदि मौजूद रहे।