मोरारीबापू ने वृजधाम-वृंदावन में किया “मानस वृंदावन” का कथा गान

मोरारीबापू ने सनातन हिन्दू धर्म के पावन तीर्थ वृजधाम-वृंदावन में “मानस वृंदावन” का कथा गान किया। राधा और श्याम की इस प्रेम भूमि में, कालिन्दी मैया के सान्निध्य में पूज्य बापू ने मानस और वृंदावन की एकरुपता सिद्ध की। उल्लेखनीय है कि उस कथा के आरंभ में ही वृंदावन में वैष्णवों का पूर्ण कुम्भ समाप्त हुआ था, और वृंदावनवासियों का प्रिय पर्व होलिका उत्सव चल रहा था। अब तलगाजरडी व्यासपीठ सनातन हिन्दू धर्म परंपरा के और एक प्रसिद्ध, प्राचीन और पवित्र तीर्थ – हरिद्वार में गंगा मैया की संन्निधि में “मानस हरिद्वार” का गान करने पहुंच रही है। हरिद्वार के कनखल स्थित हरिहर आश्रम के तत्वावधान में आयोजित हो रही इस राम कथा की खास बात यह है, कि अभी वहां पूर्ण कुम्भ चल रहा है। इन दिनों में गंगा स्नान की बड़ी महिमा है। कोरोना के चलते पूज्य बापू ने सभी श्रोताओं को अपने घर पर रहकर टीवी के माध्यम से कथा श्रवण करने का अनुरोध किया है। फिर भी, प्रत्येक आमंत्रित श्रावक, जो प्रत्यक्ष रुप से कथा श्रवण हेतु आयेंगे, उन सभी को प्रशासनिक नीति-नियम का पूर्णतया परिपालन करना होगा। यूं तो हरिद्वार में बहुत सारे मठ, मंदिर, आश्रम आदि स्थित है। परंतु १३ अखाड़ों द्वारा संचालित धर्म स्थानों को ही आश्रम माना जाता है। हरिद्वार के सभी आश्रम, आसपास के १० किलोमीटर के क्षेत्र में ही स्थित है। जिनमें से ज्यादातर आश्रम गंगा के तट पर बसे हैं। इनमें “पंचदशानन जूना अखाड़ा” संचालित ‘हरिहर आश्रम’ में ३ध्४ध्२०२१ से, पूज्य बापू द्वारा कथा गान आरंभ होने जा रहा है। हरिहर आश्रम, हरिद्वार से २ किमी की दूरी पर कनखल क्षेत्र में, गंगा तट पर स्थित है।आश्रम में तीन दर्शनीय स्थान है- मृत्युंजय महादेव का मंदिर, परदेश्‍वर मंदिर और तीसरा रुद्राक्ष का वृक्ष। हरिद्वार के सबसे पुराने आश्रम पैकी यह एक है। यहां का पारदशिवलिंग १५० किलो वजन का है, जिसका दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। यहां रुद्राक्ष का ऐतिहासिक और विशाल पेड़ है, जिसे “सिद्धिदाता वृक्ष” कहा जाता है। अवधेशानंद गिरीजी महाराज अक्सर यहीं रुकते हैं। यह हरिद्वार का मुख्‍य आश्रम है।स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, लेखक और दार्शनिक हैं। आप जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं। जूना अखाड़े के आप प्रथम पुरुष माने जाते है। जूना अखाड़ा भारत में नागा साधुओं का सबसे पुराना और सबसे बड़ा समूह है। स्वामी अवधेशानंद गिरि ने- लगभग दस लाख नागा साधुओं को दीक्षा दी है, और वे उनके पहले गुरु हैं। आप के संचालन अंतर्गत तीन प्रमुख मंदिर है-मृत्युंजय महादेव मंदिर, हरिहर आश्रम और भारत माता मंदिर। महाराज अवधेशानन्द गिरिजी पूज्य बापू के प्रति बहुत ही स्नेहादर रखते है। ऐसे परम पावन गंगाद्वार-हरिद्वार के ऐसे महत्वपूर्ण स्थान पर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानन्द गिरिजी के अनुरोध पर पूज्य बापू, कुम्भ पर्व के दौरान कथा गान के लिए पधार रहे हैं। यह हम सभी श्रोताओं के परम सद्भाग्य की बात है।