देहरादून। साल 2016 में हरीश रावत सरकार में शराब के एक ब्रांड को प्रमोट करने और आबकारी नीति के तहत कम्पटीशन में अन्य लोगों को समान अवसर न देने के मामले में बीते दिन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने उत्तराखंड मंडी परिषद पर एक करोड़ का जुर्माना ठोका था। जुर्माने की इस रकम को 60 दिन के भीतर जमा करने को कहा था। जिस पर शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के फैसले के खिलाफ मंडी परिषद, जल्द ही ट्रिब्यूनल में अपील करेगी। दरअसल, 2016 में हरीश रावत सरकार में शराब डिस्ट्रीब्यूशन का काम मंडी परिषद को सौंपा गया था। मंडी परिषद ने गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमांऊ मण्डल विकास निगम के जरिए, इसे प्रदेश में डिस्ट्रीब्यूट किया था। यही नहीं, मंडी परिषद ने एक मोनोपोली के तहत शराब के एक ब्रांड को खूब प्रमोट किया था। हालांकि, शराब कारोबारी इसके विरोध में पहले हाईकोर्ट और फिर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में गए थे। जिसके बाद आयोग ने मंडी परिषद पर जुर्माना लगाया है। वहीं, शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में किसी भी व्यक्ति विशेष के नाम का जिक्र नहीं किया है। इसके साथ ही कुमाऊं और गढ़वाल मंडल विकास निगम को भी इससे दूर रखा है। सीसीआई ने मात्र उत्तराखंड मंडी परिषद पर ही एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है, लिहाजा इस पूरे प्रकरण का परीक्षण करने के बाद मंडी परिषद, ट्रिब्यूनल में अपील करेगी। जिसका फैसला आने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।